भोपाल
तीन दिन पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने टाटा पावर कम्पनी द्वारा दिए गए प्रजेंटेशन के बाद प्रदेश में बिजली कम्पनियों को फ्रेंचाइजी सिस्टम में लाने की कवायद का विरोध शुरू हो गया है। फ्रेंचाइजी सिस्टम का तर्कों के साथ विरोध करते हुए मध्यप्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ ने सीएम को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि ऐसा होने पर विद्युत सप्लाई और अन्य व्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। संघ ने इसके विरोध में 8 सितम्बर को बैठक भी बुलाई है, जिसमें प्रदेश भर के अभियंताओं द्वारा सरकार के प्रस्तावित फैसले के खिलाफ रणनीति तय की जाएगी।
सीएम नाथ को लिखी चिट्ठी में संघ ने कहा है कि इसके पहले रीडिंग, बिलिंग, बिल वितरण, वसूली, विद्युत मीटरीकरण, फीडर सेपरेशन, आउटसोर्स कम्पनी से मीटर रीडिंग, बिलिंग, फीडर वर्किंग जैसे प्रयोग किए जा चुके हैं और ये सभी फेल रहे हैं। इसकी समीक्षा किए जाने की जरूरत है। संघ के महासचिव ने कहा कि वितरण कम्पनियों द्वारा दिए गए ए 1, ए 2, ए 3 व ए 4 टेंडर रीडिंग, बिलिंग, बिल वितरण से संबंधित हैं। सभी फेल रहे हैं और कम्पनियों को घाटा ही हुआ है। इसकी समीक्षा न करके प्रबंधन द्वारा फ्रेंचाइजी देने पर विचार किया जा रहा है। इसका संघ विरोध करेगा। इसको लेकर 8 सितम्बर को बैठक बुलाकर रणनीति तय की जाएगी।
संघ ने सीएम को बताया है कि 15 सालों से बिजली कम्पनियों का प्रबंधन और नीतियां बदलने का काम किया जा रहा है। मनमाने प्रयोग, हठधर्मिता और अदूरदर्शिता व कुप्रबंधन के चलते प्रदेश की कम्पनियों का घाटा 3000 करोड़ से बढ़कर 15 साल में 45 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। इस मामले में सारी असफलताएं अभियंताओं और स्टाफ पर थोपी जाती हैं।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि देश में फ्रेंचाइजी पर बिजली कम्पनियों का काम देने का काम किया जाएगा। ऐसा नहीं करने पर केंद्र सरकार अनुदान नहीं देगी। इसके बाद यूपी में भी इसको लेकर कवायद शुरू हो गई थी जिसके पश्चात यूपी के बिजली इंजीनियरों ने विरोध शुरू कर दिया है और 19 सितम्बर से काम बंद करने की चेतावनी सरकार को दे दी है।