नयी दिल्ली
खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को स्पष्ट किया कि सरकार चयन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी लेकिन उन्होंने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) को पारदर्शी होने की सलाह देते हुए कहा कि वह निकहत जरीन और एम सी मेरीकोम मामले को बेहतर तरीके से निपटाये। जरीन ने गुरुवार को रीजीजू को पत्र लिखकर चीन में अगले साल होने वाले ओलंपिक क्वालीफायर के लिये भारतीय टीम के चयन से पहले मेरीकोम के खिलाफ ट्रायल मुकाबला आयोजित करने की मांग की थी। बीएफआई ने कहा था कि मेरीकोम (51 किग्रा) के हाल में रूस में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वह छह बार की विश्व चैंपियन को चुनने का इरादा रखता है।
रिजीजू ने भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम के सम्मान समारोह के कार्यक्रम के मौके पर कहा, ‘‘हमें एक चीज समझनी होगी, सरकार महासंघों को निर्देश नहीं दे सकती या फिर चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकती। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कहीं असमानता है और कुछ चीजें खेल के हितों के अनुसार नहीं हैं तो हम सलाह देते हैं। ओलंपिक चार्टर में स्पष्ट है कि सरकार को महासंघ के काम करने के तरीके और प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। ’’ रिजीजू ने कहा, ‘‘हर किसी के पास अपनी शिकायतों को दूर करने के लिये कुछ तरीके ढूंढने की स्वतंत्रता है और मंत्री के तौर पर हमें सकारात्मक जवाब देना होगा। इसलिये मैं महासंघ से पारदर्शी होने और देश के हित में फैसला करने के लिये कहूंगा। लेकिन हम इसकी बारिकियों में नहीं जायेंगे। ’’
प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल संहिता के बारे में पूछने पर रिजीजू ने कहा, ‘‘कल, मुझे सूचना मिली की कि अदालत ने कुछ निर्देश दिये हैं। मैंने खेल महासंघों से कहा, ‘ऐसी परिस्थितियां मत बनाईये कि लोग अदालत का रूख करें’। जैसे तीरंदाजी संघ की मान्यता रद्द है, जिम्नास्टिक महासंघ के साथ भी समस्या है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि खेल संस्थाओं को आईओसी से या फिर उनकी संबंधित अंतरराष्ट्रीय महासंघों से किसी समस्या का सामना करना पड़े। जब हम समस्या बनाते हैं तो फिर कोई तो हस्तक्षेप करेगा। खेल मामलों में अदालत को क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए? ’’ रिजीजू ने कहा, ‘‘जब महासंघ में गुटबाजी होती है, एक दूसरे के खिलाफ लड़ाईयां होती हैं और समानांतर चुनाव कराये जाते हैं तो ऐसी परिस्थितियों में अदालत हस्तक्षेप करेगी। इसलिये समस्यायें मत खड़ी कीजिये।