नई दिल्ली
आतंक पर चीन का दोहरा रवैया सामने आ गया है। एक तरफ ड्रैगन पाकिस्तान को बचा रहा है तो वहीं दूसरी ओर पूरे विश्व को आतंक के खिलाफ लड़ने कह रहा है। पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टेरर फोर्स (FATF)से ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी मिलने के बाद चीन ने शुक्रवार को सभी रूपों में आतंकवाद की निंदा की और सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने का आग्रह किया।
हाल ही में संपन्न हुई शी चिनफिंग-मोदी की महाबलीपुरम में अनौपचारिक मुलाकात को लेकर एक विशेष साक्षात्कार में चीन में भारत में चीन के राजदूत, सन वेइदॉन्ग ने कहा, 'भारत और चीन सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने सभी देशों से आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय सहयोग को को मजबूत करने का भी आग्रह किया है।'
पाकिस्तान को बचाया
इस साल की शुरुआत में चीन के एफएटीएफ की कुर्सी संभालने के साथ, ऐसा माना जा रहा था कि पाकिस्तान इस बार भी ब्लैकलिस्ट होने से बच सकता है। हुआ भी ऐसा ही पाकिस्तान इस बार भी ब्लैकलिस्ट होने से बच गया। हालांकि, पाकिस्तान का संकट टल जरूर गया है, लेकिन कम नहीं हुआ है। उसे टेरर फंडिंग और उसकी जमीन से निकलने वाले आतंक पर तुरंत कार्रवाई के लिए कहा गया है। उसे ऐसा करने के लिए फरवरी 2020 तक का समय मिला है। ऐसा नहीं करने पर वो ब्लैकलिस्ट हो सकता है।
पाकिस्तान की कार्रवाई महज एक दिखावापन
भारत ने समय-समय पर पाकिस्तान प्रायोजित और उसके द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने पर चिंता जताई है। पाकिस्तान में खुलेआम चल रहे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का विवरण सामने आता रहता है। भारत ने पुलवामा और उरी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर किया है। भारत का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई महज एक दिखावापन है।
चीन से मदद मांगी
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बीजिंग का दौरा किया था। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यात्रा के दौरान, खान ने एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए चीन से मदद मांगी थी। चीन भी शिनजियांग प्रांत में आतंकवाद की समस्या का सामना कर रहा है।