नई दिल्ली
भूमिगत मेट्रो की तेज रफ्तार के कारण दक्षिणी दिल्ली स्थित कई इलाकों में बने घरों में दरारें आ रही हैं। इसे दिल्ली उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए केजरीवाल सरकार और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल व न्यायमूर्ति सी. हरि. शंकर की पीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में उन लोगों को मुआवजा देने की मांग की गई है जिनके घरों में भूमिगत मेट्रो की तेज रफ्तार से दरारें आ गई हैं। पीठ ने डीएमआरसी को मेट्रो के निर्माण और इसके संचालन से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए कोई नीति है या नहीं। पीठ ने इस बारे में सरकार व डीएमआरसी को 6 नवंबर तक जवाब देने को कहा है।
जानमाल का डर सता रहा : एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि हौजखास, सर्वप्रिय विहार और बेगमपुर इलाके में लोगों के घरों से होकर मेट्रो निकली है। यहां मेट्रो ट्रेन की तेज रफ्तार की वजह से लोगों के घरों में दरारें आ गई है ंऔर लोगों को अपने जानमाल का डर सता रहा है। कुछ स्थानीय लोगों का इस बारे में कहना था कि जब मेट्रो का काम शुरू हुआ था तो उन्हें आश्वस्त किया गया था कि कंपन जैसी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
याचिका में डीएमआरसी और सरकार को भूमिगत मेट्रो से होने वाले कंपन से लोगों को होने वाले नुकसान को कम करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। याचिका में डीएमआरसी को दक्षिण दिल्ली के इलाकों में मेट्रो के ढांचागत ऑडिट और निरीक्षण किया करने का भी आदेश देने की मांग की है ताकि भूमिगत मेट्रो के कंपन से होने वाली समस्या का समाधान निकाला जा सके।