नई दिल्ली
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को कुछ मुस्लिम पक्षों ने नकार दिया है। मुस्लिम पक्षकारों ने बोर्ड द्वारा मामला वापस लेने संबंधी खबरों पर हैरानी जताते हुए शुक्रवार को कहा कि मध्यस्थता का कोई मतलब नहीं है, अब उच्चतम न्यायालय ही फैसला करेगा।
वकीलों ने पक्ष रखा: मुस्लिम वादियों के वकील एजाज मकबूल, एमआर शमशाद और सैयद शाहिद ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़ सभी मुस्लिम पक्षों ने समझौते को खारिज कर दिया है क्योंकि मुख्य हिंदू पक्षकार मध्यस्थता प्रक्रिया और इसके तथाकथित समाधान का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कहा कि वे मध्यस्थता समिति द्वारा इस मसले को सौहार्दपूर्वक सुलझाने के लिए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।
दावे पर हैरानी जताई: वकीलों ने कहा, हम सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी के हवाले से आ रही इन खबरों से हैरान हैं कि उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड अपना दावा वापस लेने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि हम यह पूरी तरह से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय में हम वादी हैं और हम प्रेस को लीक किए गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं। ना ही मध्यस्थता के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली को स्वीकार करते हैं।
बोर्ड को हक नहीं: वकील शमशाद ने कहा कि सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष को ऐसा दावा करने का हक नहीं है। हमें शीर्षअदालत का फैसला ही मान्य होगा। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे दौर की मध्यस्थता के लिए उन्हें बुलाया नहीं गया था इसलिए वह शामिल नहीं हुए थे।
धार्मिक स्थल कानून के तहत समझौते का आग्रह पक्षकारों ने धर्मिक स्थल कानून, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौते का आग्रह किया था। इसकेअनुसार किसी अन्य मस्जिद या धार्मिकस्थलों, जिनका निर्माण मंदिर गिराकर किया गया, को लेकर विवाद अदालत में नहीं लाया जाएगा।
हक में फैसला आया तो जमीन घेर कर छोड़ देंगे: हाजी महबूब अयोध्या विवाद में पक्षकार हाजी महबूब ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला यदि मुस्लिमों के हक में आया तो वे जमीन को घेरकर छोड़ देंगे। मुस्लिम पक्ष दोबारा मस्जिद तामीर करने के हक में नहीं है। उन्होंने कहा, देश में चैन और सुकून कायम रहे, यही हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हम पहले भी कहते रहे हैं कि मस्जिद की जगह को छोड़कर शेष स्थान पर मंदिर का निर्माण कराएं तो हम लोग भी कारसेवा में शामिल हो सकते हैं। एक अन्य मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी कहा कि हम कोर्ट का फैसला मानेंगे।
मध्यस्थता समिति निर्वाणी अखाड़े पर साधा निशाना
वकीलों ने कहा कि मीडिया में प्रसारित और प्रकाशित किया गया है कि यूपी सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड कुछ शर्तों पर दावा छोड़ने को राजी है। मध्यस्थता समिति या निर्वाणी अखाड़ा ने यह खबर लीक की है।