जबलपुर
जबलपुर ज़िले (jabalpur)के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह (SP Amit singh)अपने ही कर्मचारियों से परेशान हैं. हवलदारों से लेकर डीएसपी (dsp)स्तर के अधिकारियों ने उन्हें परेशान कर रखा है. परेशानी ये है कि तबादला या बर्ख़ास्त होने पर भी पुलिस (police employee)वाले सरकारी मकानों (government house)पर कब्ज़ा किए बैठे हैं.
जबलपुर के दर्जनों सरकारी मकानों पर बेजा कब्ज़ाधारियों ने कब्ज़ा कर रखा है. ये बेजा कब्ज़ाधारी पुलिस स्टाफ ही हैं. इनमें से कुछ तो दो दशक बाद भी घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. ज़िले में कुछ ऐसे पुलिस अधिकारी और आरक्षक हैं जो या तो बर्खास्त किए जा चुके हैं या फिर किसी अन्य जिले में उनका तबादला हो चुका है. लेकिन वो सरकारी घर खाली करने के लिए तैयार नहीं हैं.
जबलपुर ज़िले में बने 500 से अधिक सरकारी मकान हाउसफुल हैं जबकि पुलिस बल की संख्या 3 हज़ार से भी अधिक है. ज़ाहिर है सरकारी घर मिलने के लिए बड़ी मारामारी है. ये समस्या तब और बढ़ जाती है जब नौकरी से हटाए या तबादला किए जा चुके पुलिस वाले भी कब्ज़ा जमाए बैठे रहें. एसपी अमित सिंह ने अपने ऐसे ही कर्मचारियों के खिलाफ अब मुहिम छेड़ दी है.
एसपी जबलपुर अमित सिंह के सामने हर महीने सरकारी घर के लिए पुलिस वाले आवेदन देते हैं. लेकिन घर खाली हो तब तो किसी को दिया जाए. अमित सिंह ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं. उनके मुताबिक ज़िले में कई एसआई जो डीएसपी बनकर दूसरे ज़िलों में ट्रांसफर हो गए हैं, वो भी दो दशक से सरकारी घरों पर कब्ज़ा जमाए हैं. कई ऐेसे भी हैं जिन्हे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. लेकिन वो भी सरकारी क्वाटर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.
एसपी अमित सिंह ने एक सर्वे के आदेश दिए हैं,जिसमें अब सरकारी घरों में रह रहे पुलिसकर्मी और उनके परिवारों का सत्यापन होगा. उन्हीं पुलिस वालों को सरकारी घर दिया जाएगा जिनकी ज़िले में पोस्टिंग है. एस पी के निर्देश पर अब सरकारी मकान पर कब्ज़ा जमाए बैठे लोगों को बेदखल करने की मुहिम भी शुरू कर दी गयी है. दो दिन पहले ऐसे ही एक बर्खास्त आरक्षक को बोरिया बिस्तर समेत पुलिस लाइन से बाहर कर दिया गया, जो 15 साल से मकान पर कब्ज़ा जमाए बैठा था.