भोपाल
मध्यप्रदेश (madhya pradesh)में IAS और IPS अफसरों के बीच ठन गयी है. मसला स्मार्ट सिटी (smart city)के 300 करोड़ के टेंडर घोटाले (tender scam)का है, जिसकी EOW जांच कर रहा है. एजेंसी के बड़े अधिकारी ने मीडिया में एक सीनियर IAS अधिकारी का नाम ले लिया है. इससे पूरी IAS लॉबी गुस्से में है. एसोसिएशन की अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर जांच एजेंसी के लिए एडवाइजरी जारी करने की अपील की है.
मध्य प्रदेश में फिर IAS और IPS लॉबी टकरा रही है. स्मार्ट सिटी टेंडर घोटाले में एक सीनियर आईएएस का नाम लेने की वजह से IAS एसोसिएशन नाराज़ हो गया है.बात चीफ सेक्रेटरी तक पहुंच गई है. जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक स्मार्ट सिटी के तीन सौ करोड़ के टेंडर में घोटाले की शिकायत EOWमें की गयी है. इसमें सीनियर IAS अधिकारी विवेक अग्रवाल और उनके बेटे वैभव अग्रवाल पर आरोप हैं. इसी शिकायत के संबंध में EOW में डीजी सुशोभन बनर्जी ने बुधवार को मीडिया से जानकारी साझा की. उन्होंने एक बयान भी जारी किया था.मीडिया में जानकारी आने पर मध्यप्रदेश की IAS लॉबी आगबबूला हो गयी. एसोसिएशन अध्यक्ष गौरी सिंह ने चीफ सेक्रेटरी एस आर मोहंती को चिट्ठी लिख दी. इसमें घटना का ज़िक्र करते हुए जांच एजेंसी को एडवाइजरी जारी करने की मांग की है.
गौरी सिंह ने मुख्य सचिव एस आर मोहंती को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि जांच एजेंसी के अधिकारी मीडिया से केस की डिटेल, शिकायत और उसके संभावित नतीजों की मीडिया से चर्चा कर रहे हैं.यह सरकारी सेवकों को हतोउत्साहित करने वाला है.यह जांच को प्रभावित करने के साथ मामले के अंतिम नतीजे को प्रभावित करता है. ये उम्मीद की जाती है कि जांच एजेंसियां इस तरह की आने वाली शिकायतों की जांच करें, ताकि संस्थाओं की विश्वसनीयता बनी रहे.
चिट्टी में आगे लिखा है कि एक केस नगरीय विकास विभाग के सीनियर अधिकारी के कार्यकाल का था. प्रिंसिपल सेक्रेटरी को इसकी रिपोर्ट दी गई थी.इस मामले की जांच प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से होनी चाहिए थी, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि EOW अधिकारी ने प्रेस को ब्रीफ कर दिया. इसमें फैक्ट और डिटेल डिपार्टमेंट की जानकारी के बिना दिए गए. इसलिए इस मामले को देखते हुए जांच एजेंसियों के लिए एडवाइजरी जारी की जाना चाहिए.
नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल के कार्यकाल में HPE कंपनी को 300 करोड़ का टेंडर मिला था. बीएसएनएल ने भी 250 करोड़ का टेंडर डाला था.एचपीई कंपनी के पास स्मार्ट सिटी बनाने का कोई अनुभव नहीं था.300 करोड़ का टेंडर मिलने से छह दिन पहले कोलकाता में एचपीई कंपनी और पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के बीच एक साथ काम करने का करार हुआ था. मसला ये है कि पीडब्ल्यूसी कंस्लटेंट कंपनी के सीनियर अधिकारी विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल हैं.