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श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर J&K की सुरंग

जम्मू
केंद्र सरकार ने एशिया की सबसे बड़ी सुरंग चिनैनी नाशरी का नाम जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को इसका ऐलान करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बनी इस सुरंग का नाम बदलकर अब इसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से जोड़ा जाएगा, जिन्होंने देश को एक निशान, एक विधान और एक प्रधान का मंत्र दिया था।

बता दें कि जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर रामबन के पास स्थित चिनैनी नाशरी सुरंग का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में किया था। पूर्व में इस सुरंग के निर्माण कार्य की शुरुआत तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में कराई गई थी और 2017 में काम पूरा होने के बाद इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया था। 1,200 मीटर की ऊंचाई पर बनी 10.89 किलोमीटर लंबी सुरंग से जम्मू और श्रीनगर के बीच की दूरी 40 किलोमीटर कम हुई है।

'यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी को हमारी श्रद्धांजलि'
इस सुरंग को एशिया की सबसे हाईटेक सुरंगों में से एक माना जाता है और इससे हर दिन सैकड़ों वाहन जम्मू से श्रीनगर के बीच यात्रा करते हैं। इस सुरंग का नामकरण करने के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर समर्पित करना हमारी ओर से उन्हें श्रद्धांजलि है।

1953 में हुआ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन
बता दें कि 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 में भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी उन प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने अनुच्छेद 370 और कश्मीर के विशेष दर्ज एवं दो झंडों की नीति का विरोध किया था। साल 1952 में जन संघ की स्थापना के बाद मुखर्जी ने पुरजोर तरीके से अनुच्छेद 370, दो निशान-दो विधान की नीतियों का विरोध किया था। 1953 में वह तत्कालीन परमिट व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर में पहुंचे थे, जहां गिरफ्तारी के बाद जून 1953 में संदिग्ध स्थितियों में उनकी मौत हो गई थी।

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