रायपुर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल स्वास्थ्य एवं मातृशक्ति पर आधारित मासिक रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी के तीसरे प्रसारण की शुरूआत दाई-बहिनी, सियान-जवान, लइका जम्मो मन ला जय जोहार से की। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में इस सरल और सरस संबोधन के साथ पूरे वातावरण को सहज बना दिया। मुख्यमंत्री ने मासिक रेडियो वार्ता में छत्तीसगढ़ की संस्कृति में मातृशक्ति की पूजा की परम्परा का उल्लेख कर उनका नमन करते हुए अपनी बात की शुरूआत की।
मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का श्रोताओं से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। इस कार्यक्रम में श्रोताओं की लगातार बढ़ रही भागीदारी ने इस कार्यक्रम को और अधिक उपयोगी बना दिया है। श्रोता सरकार की योजनाओं पर अच्छे फीडबैक के साथ महत्वपूर्ण सुझाव भी दे रहे हैं। लोकवाणी में माताओं-बहनों ने राज्य सरकार के सुपोषण अभियान की सराहना करते हुए इसे गर्भवती और शिशुवती माताओं के लिए बताया फायदेमंद बताया। खैरागढ़ में एक श्रोता से स्वास्थ्य सेवाओं के हाल और पोषण पुनर्वास केन्द्र के संचालन पर मिले फीडबेक पर मुख्यमंत्री लोकवाणी में ही कहा कि खैरागढ़ में 50 बिस्तर का अस्पताल खुलेगा और खैरागढ़ सहित पूरे प्रदेश में 'पोषण पुनर्वास केन्द्रोंझ् के सुचारु संचालन के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि राज्य में हमारी सरकार आने के बाद यहां महिलाओं के हित तथा उत्थान पर विशेष ध्यान देते हुए पहली प्राथमिकता मातृशक्ति को दी गयी है। महिलाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में पहली बार तीजा तथा हरेली जैसे त्यौहारों में अवकाश घोषित किए गए। मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में यह जानकारी भी दी कि आगामी 27, 28 और 29 दिसंबर को राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें विकासखण्ड स्तर पर प्रतियोगिता होगी। चुने हुए नृत्य दल जिला तथा राज्य स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। इससे ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर तक प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा। महोत्सव में पूरे देश से आए आदिवासी नृत्य दलों का प्रदर्शन भी होगा, जो छत्तीसगढ़ को सांस्कृतिक तौर पर पूरे देश और दुनिया से जोड़ेगा।हमने गौरा-गौरी उत्सव और गोवर्धन पूजा को गौठान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुपोषण अभियान बच्चों में कुपोषण दूर करने सहित गर्भवती माताओं तथा शिशुवती माताओं के लिए बहुत फायदेमंद है। जच्चा और बच्चा का बेहतर स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित है। अठारह साल से, कम से कम 35 साल तक की उम्र तक आमतौर पर गर्भवती माताओं के रूप में महिलाओं को बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। यदि 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं में खून की कमी होगी, तो वे अपने परिवार की इस सबसे बड़ी जिम्मेदारी को कैसे निभा पाएंगे।