कानपुर
शरद पूर्णिमा पर रविवार को चंद्रमा से अमृत बरसेगा। पूर्णिमा और उत्तराभाद्र पद नक्षत्र के संयोग विशेष फलदायी होंगे। घरों में पूजा होगी। छत पर रात भर खीर रखकर सुबह प्रसाद बांटा जाएगा। शरद पूर्णिमा के साथ दिवाली की धूम मच जाएगी।
शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती है और भक्तों पर धन-धान्य से पूर्ण करती है। इस दिन रात भर जाग कर मां लक्ष्मी के भजन करने चाहिए। कहते हैं मां लक्ष्मी इस दिन रात में जगने और मां लक्ष्मी के अराधना करने वालों को धन और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। इस लिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा इस दिन जन्म कुंडली में कमजोर चंद्रमा वाले जातक उपाय करते हैं। चंद्रमा बलवान होने से इस दिन छोटा सा उपाय कमजोर चंद्रमा मजबूत किया जा सकता है। घी के दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है।
महारास की रात्रि शरद पूर्णिमा की महिमा का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न रूपों में किया गया है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन से सर्दियों का आरम्भ माना जाता है।
आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के अधिक निकट होने से बलवान होगा। चंद्रमा की किरणों की छटा धरती को दूधिया रोशनी से नहलाएगी। इस छटा के बीच पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत बरसता है। महिलाएं शाम ढलने के बाद पूजा अर्चना करती हैं। छत पर अल्पना बनाकर गन्ना, खीर रखी जाती है। यह भी मान्यता है कि रात में चांद की रोशनी में रखी गई खीर खाने से पित्त रोग से छुटकारा मिलता है।
पंडित ब्रह्मदत्त शुक्ला का कहना है कि महिलाएं व्रत रखकर तुलसी मां की पूजा भी करती हैं। छत पर तुलसी के वृक्ष को चुनर ओढ़ाकर रखा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन से गुजराती परिवार डांडिया खेलना शुरू कर देते हैं।
वहीं, निरालानगर मित्र मंडल सेवा समिति के बैनर तले शरदपूर्णिमा पर हृदयेश्वरी भवन स्थित मां वैष्णोदेवी मंदिर में शृंगार किया जाएगा। कार्यक्रम के आयोजक विनोद कुमार गुड्डू शुक्ला ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात देवी जागरण होगा।