मध्य प्रदेश

अतिथि विद्वानों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा, राजधानी में डेरा डाल याद दिलाएंगें वादा

भोपाल
सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल और मध्यप्रदेश सरकार का पुराना नाता है। शिव 'राज' में 15  साल सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाले सरकारी कर्मचारियों ने सत्ता परिवर्तित होते ही अब कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पटवारी, वकीलों, तहसीलदार और नायाब तहसीलदारों के बाद अब अतिथि विद्वानों ने हड़ताल शुरु कर दी है।चुनाव पूर्व किए वायदे को पूरा ना करने पर अतिथि विद्वान कांग्रेस सरकार के खिलाफ न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। विभिन्न जिलों से होती हुई ये यात्रा आज राजधानी भोपाल पहुंच रही है।

दरअसल, नियमितिकरण को लेकर अतिथि विद्वानों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है।सत्ता में आने से पहले कांग्रेस  ने अपने वचन-पत्र में उन्हें नियमित करने का वाद किया था।लेकिन दस महिने बीत जाने के बाद भी जब मांग पूरी नही हुई तो अतिथि विद्वानों में आक्रोश व्याप्त हो गया है और वे हड़ताल पर उतर आए है। अतिथि विद्वान आज विभिन्न जिलों से होते हुए भोपाल पहुंच रहे हैं, वे सरकार के खिलाफ न्याय यात्रा निकाल रहे है, इस हड़ताल का विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है।

यह यात्रा 4 अक्टूबर से इंदौर से प्रारंभ होकर विभिन्न जिलो से होती हुई आज भोपाल पहुंच रही है। यहां  नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों की विशाल सभा होगी और सरकार को अपना वचन यादा दिलाया जाएगा।सरकार के विरोध में न्याय यात्रा निकालने में शामिल महिला अतिथि विद्वानों का कहना है कि वह सरकार के सामने केशदान करेंगी, ताकि उनकी नौकरी बच सके।वर्तमान में प्रदेश में  पांच हजार से ज्यादा अतिथि विद्वान है।

अतिथि विद्वानों का साफ कहना है कि कांग्रेस द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में अतिथि विद्वानों को नियमित कि ए जाने का वादा कि या था किंतु उन्हें नियमित नहीं किया गया। ऐसे में जब तक प्रदेश सरकार द्वारा चुनाव से पहले दिए गए वचन पत्र अनुसार मांगें पूर्ण नहीं हो जाती है, तब तक वह अनिश्चितकालीन हड़ताल में रहेंगे।

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