छत्तीसगढ़

ग्रामीणों ने किया श्रमदान, बन गया प्रदेश का आदर्श गोकुलधाम गौठान 

रायपुर 
साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाए तो मिलकर बोझ उठाना। कुछ इन्ही अल्फाजों के साथ इस गाँव के सैकड़ों लोगों ने कुछ ऐसा काम कर दिखाया है कि गाँव की पहचान प्रदेश भर में होने लगी है। गांववासियों की मेहनत, लगन, दूरदृष्टि सोच और दानशीलता ने आपसी भाईचारे की एक मिसाल पेश की है। यहाँ सभी ग्रामीणों ने आपस में तन,मन और धन लगाकर ऐसा गोकुलधाम गोठान  बनाया है जो इस गाँव के लगभग एक हजार पशुओं  का आश्रय स्थल बन गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा गाँव-गाँव गोठान बनाने की मुहिम से प्रेरित होकर  गाँव वालों ने आपस में ही सलाह-मशविरा कर तय किया कि गांव में गोकुलधाम गोठान बनाना है,जिसकों जो राशि और सामग्री देनी है अपनी हैसियत के अनुसार  अपनी मर्जी से दे सकते है लेकिन इस गोकुलधाम गौठान के निर्माण में गाँव के सभी समाज के लोगों का श्रम दान करना होगा। सबने हा में हा मिलाई, फिर क्या था, गाँव के प्रत्येक नौजवान, महिला, पुरुष, बुजुर्ग मिलकर गैती,फावड़ा,कुदाल,टोकरियाँ लेकर उबड़-खाबड़ और अस्त व्यस्त जगह पर पहुँचे। यहां लगातार 21 दिन तक सबने  अपना पसीना बहाया और देखते ही देखते जनसहयोग से प्रदेश का एक ऐसा आदर्श गोकुलधाम गोठान का निर्माण पूरा कर लिया जो अपने आप में एक मिसाल हैं। अब गोठान निर्माण कर गाँववासी चर्चा में आ गए है, प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल जब यहाँ पहुंचे और उन्हें मालूम हुआ कि यह गोठान गाँव वालों ने आपस में पांच लाख जुटाकर अपने परिश्रम से तैयार किया है तो उन्होंने गांववासियों की खूब प्रशंसा की। यहाँ पहुँचे मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों ,अधिकारियों ने भी गांववासियों की इस पहल की सराहना की। गांववासियों का सपना है कि वे इस गोकुलधाम गोठान में गायों को रखने के साथ गाँव के बेरोजगार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करेंगे।

हालांकि यह गाँव किसी पहचान का मोहताज नही है। धमतरी जिला के अंतर्गत आने वाला यह ग्राम कंडैल है। महात्मा गांधी जी और कंडैल सत्याग्रह की वजह से गाँव की पहचान है। अब एक बार फिर गाँव वालों ने अपनी सोच, अपनी मेहनत और एकजुटता से यहाँ गोकुलधाम गोठान बनाकर गांव की एक नई पहचान स्थापित कर दी है। दअरसल 100 साल पहले हुए कंडैल सत्याग्रह की स्मृति ने गाँववालों को सदैव ही गांधीजी के बताए रास्तों में चलने प्रेरित किया है। गाँव वाले उनकों याद तो हमेशा करते है लेकिन यात्रा के 100 साल पूरे होने और गांधीजी की 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में वे कुछ ऐसा कर दिखाना चाहते थे जो गांधीजी को सच्ची श्रद्धांजलि हो। जब गांव में बैठक हुई और  गाँववालों ने कुछ करने की ठानी तो उन्हें अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा गाँव गाँव बनाये जा रहे गोठान ही सबसे बड़ा सेवा का कार्य नजर आया।

गाँव के पशुओं को सुरक्षित रखने के साथ, आने वाले समय में यहाँ के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह गोठान वरदान साबित हो सकता है यह बात सबके दिमाग में आई। गाँव में रहने वाले गुरुजी जनक राम साहू ने 21 हजार रूपये अपनी ओर से गोठान के लिए देने की घोषणा की तो गाँव के ही तुलाराम ने 20 हजार,नारायण साहू ने 10 हजार,जगदीश राम ने 10 हजार, नारायण सिंह ने 10 हजार, विसाहू राम ने 7 हजार, साहू समाज ने 17 हजार,  निषाद समाज ने 10 हजार, केदार राम ने 30 बोरी सीमेंट, चमेली बाई उईके ने दो किवंटल छड़, संतुराम ने दो ट्रैक्टर बालू, कली राम ने एक ट्रैक्टर गिट्टी  देने की बात कही। इस तरह दान देने के लिए गाँववालों की होड़ लग गई, सभी कुछ न कुछ देकर इस पुण्य कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते थे। आखिरकार गोठान बनाने का अभियान प्रारंभ हुआ और सबकी भागीदारी से इस गाँव में सुरक्षित गोठान बनकर तैयार हो गया है।

ईट जोड़ाई से लेकर साफ सफाई तक सभी मे गाँववालों का रहा योगदान
इस गाँव के लोगों ने आपसी सहभागिता से ऐसी मिसाल कायम की है जो गांधी जी और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री के सपनों के गांव, स्वावलंबन की राह में एक बड़ा कदम है। आपसी सहभागिता से ग्राम कंडैल के ग्रामीणों ने पांच लाख रुपए जोड़कर लगभग 5 एकड़ गोठान बनाया। यहाँ सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल, जैविक खाद के लिए स्ट्रक्चर, कोटना, टंकी,गोबर गैस प्लांट,छायादार मचान, कुटिया, विश्राम कक्ष आदि का निर्माण भी  आपस में मिलकर किया  है। गाँव के जानकारों ने कृषि,क्रेडा विभाग के अधिकारियों से कुछ तकनीकी मार्गदर्शन लेकर  भू-नाड़ेप, कोटना,टंकी,बाउंड्रीवाल सहित अन्य निर्माण किया। जैविक खाद बनाने का काम कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

आपसी सहमति से हुआ गोकुलधाम का निर्माण कराया
गाँव के विसंभर साहू 70 वर्ष ने बताया कि आज जो गोकुलधाम गोठान के रूप में नजर आ रहा है वहाँ कुछ दिन पहले बहुत गंदगी का आलम था। गाँववालों की आपसी सहमति के बाद श्रमदान से इसे सँवारा गया है। गाँव के बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग, महिला, पुरुषों ने  इसमें तन,मन,धन से सहयोग दिए। इसी गांव की मितानिन ललिता साहू के योगदान को गाँववाले तारीफ करते नही थकते। ललिता बाई ने बताया कि भू-नाडेप, जैविक खाद,कोटना, गोबर गैस प्लांट का निर्माण कर आत्मनिर्भर की राह में आगे बढ़ने का प्रयास किया जा रहा।

गाँव की पांच जानकी साहू ने बताया कि इस पुण्य कार्य में गाँव के लोगों का पूरा योगदान रहा। गौ सेवा के साथ आत्मनिर्भर की राह आसान होगी। आज गांधीजी भले ही इस दुनियां में नही है। लेकिन उनकी आदर्श और विचार को अपनाने वाले इस गाँव में मौजूद है। इसी का परिणाम है कि कंडैल के लोगों ने 100 साल पहले कंडैल सत्याग्रह के समय गांधी जी के छत्तीसगढ़ आगमन को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलते हुए सभी जाति धर्म के लोगों को साथ लेकर जो काम किया है वह उनके आदर्शों और दिए जाने वाले संदेश पर सटीक बैठती है।  गांधीजी का भी सपना था कि पंचायतों का विकेंद्रीकरण हो,कुटीर और ग्रामोद्योग के माध्यम से गाँव के लोग और सशक्त बने। स्वावलंबन की राह में आगे बढ़ते हुए गाँव आत्मनिर्भर बने। कंडैल के ग्रामीण भी इसी राह पर चल पड़े है। गोठान से जहाँ गाँव के गायों को सुरक्षित रखने का बीड़ा उठाया है वही गोबर से खाद एवं अन्य उत्पाद का निर्माण कर भविष्य में आत्मनिर्भर बनने का सपना संजोए हुए है।    

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