राजनांदगांव
नक्सल (Naxal) समस्या से जूझ रहे राज्यों में शामिल महाराष्ट्र (Maharashtra) की पुलिस (Police) पर एक मुखबिर (Informer) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राजनांदगांव में गुरुवार को प्रेसवार्ता कर खुद को मुखबिर बताने वाले विजय प्रकाश गुप्ता उर्फ पप्पू ने महाराष्ट्र पुलिस पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. पप्पू का दावा है कि 17 फरवरी 2014 में दो महिला सहित 7 नक्सलियों को महाराष्ट्र पुलिस ने एक मुठभेड़ में मारा था. पुलिस के लिए मुखबिर का कार्य उसने ही किया था. इसके अलावा दूसरे मामलों में भी उसने नक्सलियों की मुखबिरी की थी.
राजनांगांव (Rajnadgaon) में मीडिया से चर्चा करते हुए पप्पू गुप्ता ने पुलिस प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग की. साथ ही महाराष्ट्र पुलिस पर सवालिया निशान भी लगाए. पप्पू का कहना है कि 7 नक्सलियों का बड़ा कैडर महाराष्ट्र पुलिस ने उसकी मुखबिरी पर ढेर किया था. नक्सलियों पर तीन राज्यों की पुलिस ने इनाम घोषित कर रखे थे. इनाम की राशि मुखबिर पप्पू को मिलनी थी, जो आज तक नही मिल पाई है. पप्पू ने आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा 93 लाख रुपये के इनाम में से सिर्फ 54 लाख रुपए ही उसे दिये गए.
पप्पू का आरोप है कि उसने महाराष्ट्र पुलिस के एक अफसर के भरोसे में आकर मुखबिरी की थी. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके में हुई मुठभेड़ में पुलिस की फायरिंग से उसकी सुमो गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई. उस गाड़ी का मुआवजा भी अब तक नहीं मिला है. पप्पू ने बताया कि सन 2014 में सात नक्सलियों को दूसरे स्थान पर लेकर छोड़ना था, जिसकी जानकारी संबंधित पुलिस अधिकारी को दी गई. इसी इनपुट पर पुलिस ने नक्सलियों को मार गिराया था.
पप्पू ने मीडिया को बताया कि वो नक्सलियों के टारगेट में है. नक्सलियों ने अपने बैनर पोस्टर सहित बुक में मुखबिर के तौर पर उसकना नाम भी छापा है. घटना दिनाक से लेकर आजतक वो राजनांदगांव शहर में ही रह रहा है, जिसको दो पुलिस जवान की सुरक्षा मिले हुए हैं. पप्पू का कहना है कि उसने सुरक्षा में लगे जवानों की संख्या बढ़ाने और परिवार की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधिकारी से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. इस मामले में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली पुलिस के पीआरओ प्रशांत दावटे से पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की गई. प्रशांत दावटे ने न्यूज 18 से कहा कि इस मामले में अफसरों से चर्चा कर ही कुछ कह पाएंगे. खबर लिखे जाने तक उनका पक्ष नहीं मिला था.