आत्मनिर्भर भारत के लिए भेल कर सकता है कमाल, चीन से आयात किए जाते हंै, देश में ज्यादातर पॉवर प्लांट
भोपाल. बीएचईएल विश्व के सर्वश्रेष्ठ भारी विद्युत उपकरणीय एवं पॉवर प्लांट बनाने में सक्षम है। देश में ज्यादातर पॉवर प्लांट चीन से आयात किए जाते हंै, जबकि भेल दुनिया में सबसे बेहतर पॉवर प्लांट बनाने में सक्षम है, बशर्ते इसे पूरी तरह से स्वायत्तता दी जाए। बीएचईएल आत्मनिर्भर भारत के लिए कमाल कर सकता है।
बीएचईएल जैसी कंपनी को आगे आना होगा
भारत और चीन के बीच चल रही अनबन के बाद चीन के 90 फीसदी सौर ऊर्जा मार्केट पर भारत को कब्जा करने के लिए बीएचईएल जैसी कंपनी को आगे बढ़ाना चाहिए। यह बात मध्यप्रदेश इंटक के अध्यक्ष आरडी त्रिपाठी ने कही। उनका कहना है कि वर्तमान में ही कोविड-19 लॉकडाउन में जब ट्रैक्शन मोटर और ट्रांसफॉर्मर की डिमांड की गई तो भेल भोपाल के कर्मचारियों ने चुनौती भरे समय में आगे बढ़कर भाग लेते हुए करोड़ों का उत्पादन कर एक कीर्तिमान बनाया है।
अन्य कंपनियों को भेल दे सकता है खाली जमीन
त्रिपाठी ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का ध्यान इस ओर दिलाते हुए कहा कि बीएचईएल के पास वर्तमान में 18 हजार एकड़ जमीन रिक्त पड़ी है। चाइना से करीब 31 बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोड़कर दूसरी जगह जाने की तलाश कर रही हैं। बीएचईएल को सरकार के माध्यम से बहुत सी कंपनियों को अपने क्षेत्र में स्थापित करने का प्रयत्न करना चाहिए। पॉवर प्लांट अभी चाइना से आयात किये जाते हैं।
सौर ऊर्जा में 90 फीसदी मार्केट पर चीन की कंपनियों का कब्जा
सौर ऊर्जा में 90 फीसदी मार्केट पर चीन की कंपनियों का कब्जा है। देश में सौर ऊर्जा का मार्केट -साइज 37,916 मेगावाट का है, जिसमें चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है। चीन हमसे 3839 करोड़ का स्टील लेकर 12 हजार करोड़ के स्टील प्रोडक्ट हमें बेच देता है।
उद्योगों को बचाने करना होगा सार्थक प्रयास
चीन के साथ अनबन एवं चीनी माल के बहिष्कार के साथ ही बीएचईएल जैसे उद्योग को चुनौती के लिए खड़ा हो जाना पड़ेगा। उनका कहना है कि वर्तमान समय में पब्लिक सेक्टर के प्रबंधन को अपना उद्योग चलाने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बीएचईएल की तरफ से इस महान उद्योग को बचाने एवं प्रगति के पथ पर ले जाने के लिये ऐसा कोई कारगर उपाय नहीं हो पाया, जो सेल, एनटीपीसी, ओएनजीसी एवं अन्य महारत्न कंपनियों ने किया है।
भेल प्रबंधन के हर कदम का कर्मचारी करेंगे पूरा
मौजूदा समय में बीएचईएल के उच्च प्रबंधन एवं यूनिट के प्रबंधन में वह स्पार्किंग ऊर्जा जीवन्तता नहीं दिखती है, जो पहले कभी भरपूर दिखती थी। वेल क्वालिफाइड एवं सॉफ्ट स्पोकन सीएमडी डॉ. नलिन सिंघल से हम यह कहना चाहेंगे कि भेल की सुरक्षा, बचाव और प्रगति के लिए जो भी कदम प्रबंधन के द्वारा उठाया जाएगा, उसे कर्मचारियों द्वारा पूर्ण प्रतिबद्धता डेडीकेशन के साथ पूरा किया जाएगा।
फिजूलखर्ची पर अब तक अमल नहीं
दिल्ली में आयोजित हुई पिछली जेसीएम बैठकों में इंटक द्वारा फिजूलखर्ची एवं कास्ट कटिंग के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये थे, जिन पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। देश में भेल के कई कार्यालय हैं, जिसमें कर्मचारी-अधिकारी विद्यमान हैं। जबकि वहां न के बराबर काम है, जिसमें गुवाहाटी, भुवनेश्वर, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, चंडीगढ़, रांची, लखनऊ, सिकंदराबाद, वड़ोदरा एवं ईएमआरपी मुम्बई जैसे कार्यालय शामिल हैं, जिसके अधिकारी 35 प्रतिशत एचआरए ले रहे हैं।
10 हजार एसआईपी बोनस देने की मांग
भेल प्रबंधन इन फिजूलखर्ची को न रोककर कोरोना नामक वैश्विक महामारी की आड़ में कर्मचारियों की आर्थिक सुविधाओं में भारी कटौती कर रहा है। वहीं भेल कर्मचारी तत्परता के साथ उत्पादन में लगा हुआ है। आज विकट परिस्थिति में वर्कर का मनोबल बढ़ाने की आवश्यकता है। अत: भेल कर्मचारियों के 10 हजार रुपये के एसआईपी बोनस की धनराशि का भुगतान शीघ्र किया जाए। डीए की कटौती बंद की जाये एवं कटी हुई धनराशि का भुगतान विजयादशमी, दुर्गा पूजा के पहले कर दिया जाये।