चेन्नै
चेन्नै के मूल निवासी नेविली जे बिल्लिमोरिया ने पेरिस-ब्रेस्ट-पेरिस साइकलिंग कंपटीशन जीत लिया है। इसके लिए 50 वर्षीय बिल्लिमोरिया ने 89 घंटों में 1226 किलोमीटर साइकल चलाई। बिल्लिमोरिया के मुताबिक, उनके लिए यह आसान इसलिए हो पाया कि उन्होंने रात में खड़े-खड़े और साइकल पर ही सोने की आदत डाल ली थी। जहां यह रेस आयोजित की गई थी, वहां का तापमान 3 डिग्री से लेकर 15 डिग्री के बीच में रहता था, जिसके चलते रात में साइकल चलाना असंभव था।
इस रेस में 65 देशों के कुल 7,300 साइकलिस्ट्स ने हिस्सा लिया। चार सालों में होने वाली इस रेस में 335 साइकलिस्ट भारत के थे, जिसमें से कुल 42 लोगों ने ही तय समय यानी 90 घंटे में यह रेस पूरी की। चेन्नै के 42 साइकलिस्ट्स ने रेस में हिस्सा लिया था, जिसमें से आठ ने तय समय के अंदर यह रेस पूरी कर ली।
चेन्नै के लोगों को ठंड में साइकल चलाने में हुई काफी दिक्कत
अपनी सफलता के बारे में बिल्लिमोरिया बताते हैं कि उन्होंने खड़े-खड़े और साइकल पर ही सोना सीख लिया है, जो रेस के दौरान उन्हें बहुत काम आया। बिल्लिमोरिया इससे पहले 1000 किलोमीटर की साइकलिंग (चेन्नै से विजयवाड़ा) कई बार कर चुके हैं। इस रेस के बारे में वह बताते हैं, 'चेन्नै से आए हम सभी साइकलिस्ट्स के लिए यह रेस काफी चुनौती भरी थी क्योंकि यहां तापमान 3 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच था जबकि हम लोग गर्म इलाकों में साइकलिंग करते हैं। इसके अलावा 1.1 किलोमीटर का इलाकी पहाड़ी और खतरनाक था।'
बिल्लिमोरिया बताते हैं कि इस रेस में हिस्सा लेने के लिए एक साल के अंदर साइकलिस्ट को 200, 300, 400 और 600 किलोमीटर की साइकलिंग पूरी करनी होती है। वह अपने बारे में बताते हैं कि रेस के दौरान वह सिर्फ पांच घंटे सोते थे। चार दिन चली इस रेस के दौरान खड़े-खड़े या साइकल के हैंडल पर झुककर नींद पूरी करते थे।