भोपाल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को एक चिठ्ठी लिखकर आधा दर्जन मंत्रियों को हटाने की सिफारिश की है. कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे गए पत्र में तत्काल प्रभाव से अपने मंत्री मंडल के 6 सदस्यों को हटाने का आग्रह किया है. अब तक कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में संख्या बल देखा जाए तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आती दिखाई दे रही है.
कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे गए अपने पत्र में कहा कि मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल के निम्नलिखित सदस्यों को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश की जाती है. इन सभी सदस्यों को तत्काल प्रभाव से हटाए जाने संबंधी आदेश तत्काल जारी करें. जिन मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने की सिफारिश कमलनाथ ने की है, उनमें इमरती देवी, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर और डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के नाम शामिल हैं.
इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. मंगलवार सुबह दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बैठक के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा सार्वजनिक कर दिया. सिंधिया के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है, साथ ही पार्टी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया भी दी गई है.
सिंधिया के इस फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि जिस पार्टी ने इतना दिया है, वो उससे बेईमानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सिंधिया के इस फैसले से पार्टी का नुकसान हुआ है और लगता है मध्य प्रदेश में हमारी सरकार नहीं बच पाएगी. अधीर रंजन ने सिंधिया के इस फैसले को पार्टी के साथ गद्दारी करार दिया.
अधीर रंजन ने ये भी कहा कि सिंधिया कांग्रेस में राजा की तरह थे, लेकिन बीजेपी में जाकर वो प्रजा हो जाएंगे. कांग्रेस भले ही सिंधिया पर गद्दारी का इल्जाम लगा रही हो, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे जनसेवा से जोड़कर बताया है. सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए अपना इस्तीफा पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है. साथ ही उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है. सिंधिया ने इस इस्तीफे में कहा है कि वे जनसेवा के लिए राजनीति में आए हैं और बीते कुछ समय से कांग्रेस में रहते हुए ऐसा नहीं कर पा रहे थे.