भोपाल
सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले करीब 39 लाख परिवारों को अब भी पक्का मकान नहीं मिल सका है, जिसकी वजह से वे अब भी कच्चे मकान या झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं।
खास बात यह है कि करीब तीन साल पहले केन्द्र द्वारा सभी को पक्की छत देने के लिए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरु की गई थी , इसके बाद भी इन परिवारों की तकदीर नहीं बदल पा रही है। राज्य सरकार ने इन परिवारों की सूची एप प्लस आवास पोर्टल पर अपलोड कर पक्के आवासों के लिए केन्द्र सरकार से 48 हजार करोड़ रुपए की मांगे हैं। योजना शुरु होते ही राज्य सरकार को वर्ष 2016 में ऐसे 31 लाख परिवार मिले थे, जिनके पास पक्के आवास नहीं थे, लेकिन बाद में शिकायतें हुईं कि बड़ी संख्या में ऐसे परिवार सर्वे से छूट गए हैं। सरकार ने दोबारा सर्वे कराया, तो उनकी संख्या में 8 लाख की वृद्धि है गई। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित हितग्राही को एक लाख 20 हजार रुपए और पहाड़ी क्षेत्र में मकान निर्माण के लिए एक लाख 30 हजार रुपए दिए जाते हैं।
सामाजिक एवं आर्थिक सर्वे 2011 के आधार पर वर्ष 2016 में ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार कच्चे मकान या झोपड़ी में रहने वाले परिवारों का सर्वे किया गया था। तब ऐसे 31लाख परिवार मिले थे। इनमें से 13.70 लाख परिवारों को राशि देकर पक्के मकान बनवा दिए गए हैं। वहीं, छह लाख से ज्यादा परिवारों को राशि देकर मकान निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया है, जो जून 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है। जबकि शेष 11 लाख परिवारों को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। मकान के लिए राशि मंजूर होने के बाद भी इन परिवारों को मकान निर्माण शुरू करने के लिए राशि नहीं मिल रही है। विभाग ने वित्त विभाग को दो हजार करोड़ रुपए का प्रस्ताव सवा माह पहले भेजा है, लेकिन अब तक राशि देने के संकेत नहीं मिले हैं।
प्रदेश में हितग्राहियों की संख्या बढऩे की बड़ी वजह सामाजिक-आर्थिक सर्वे और योजना लागू करने में पांच साल का अंतर बताया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि सर्वे 2011 में हुआ था और योजना 2016 में आई। इस बीच परिस्थितियां बदल गईं। इस दौरान कई अपात्र परिवार पात्रता की श्रेणी में आ गए।