कानपुर देहात
14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में धावा बोलाकर 20 ग्रामीणों को लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून डाला था। मरने वालों में 17 क्षत्रिय थे। यह ऐसा मामला था, जिसमें 35 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई पर चार्जशीट फूलन समेत 6 के खिलाफ ही दाखिल हुई थी। इनमें श्यामबाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह भी शामिल थे। फूलन की हत्या के बाद राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई। पोशा जेल में बंद है जबकि तीन आरोपित जमानत पर हैं। केस में 6 गवाह बनाए गए थे जिनमें दो ही जिंदा हैं।
बेहमई कांड ने फूलन को बैंडिट क्वीन बनाया
फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर चाचा ने कब्जा कर लिया था। 11 साल की उम्र में फूलन ने चाचा से जमीन मांगी। इस पर चाचा ने उस पर डकैती का केस दर्ज करा दिया। फूलन को जेल जाना पड़ा। जब जेल से छूटी तो डकैतों के संपर्क में आ गई। इसके बाद दूसरे गैंग के लोगों ने फूलन का गैंगरेप किया। इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया था। इसी के बाद फूलन देवी बैंडिट क्वीन कहलाने लगी। 1983 में फूलन ने सरेंडर कर दिया बाद में वह मिर्जापुर से सांसद बनीं। 2001 में दिल्ली स्थित उनके घर के सामने शेर सिंह राणा ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।
लाइन में खड़ाकर 20 को भूना था
कानपुर देहात के शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि फूलन के गैंग ने जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, लाल सिंह, रामाधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जंटर सिंह समेत आधा दर्जन ग्रामीण गोली लगने से घायल हुए थे।
35 डकैतों पर दर्ज हुई थी रिपोर्ट
राजाराम ने फूलन देवी समेत 35 के खिलाफ थाना सिकंदरा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद यह कांड देशभर की सुर्खियों में रहा था। वर्ष 2012 में फूलन, भीखा, पोशा, विश्वनाथ, श्यामबाबू और राम सिंह पर आरोप तय किए गए थे। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित की अदालत में चल रही है। हत्याकांड के बाद से लगातार तारीख पर तारीख पड़ती रही। इसी तरह 39 साल बीत गए। राज्य की ओर से अभियोजन पक्ष ने वर्ष 2014 में गवाही पूरी कर ली थी। इसके बाद से अभियुक्तों की ओर से बचाव पक्ष ने बहस शुरू की। 19 दिसंबर 2019 को बहस पूरी हो गई है।
तीन डकैत अभी भी फरार
भीखा, श्यामबाबू व विश्वनाथ उर्फ पूतानी जमानत पर हैं। नामजद डकैत विश्वनाथ उर्फ अशोक और रामकेश फरार चल रहे हैं। पुलिस अभी तक उन्हें तलाश नहीं पाई है। गवाही के दौरान अभियोजन के पत्र पर मान सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। तब से वह भी फरार चल रहा है।
38 साल में 15 गवाहों के बयान
हत्याकांड में 39 सालों के दौरान 24 अगस्त 2014 को आरोप तय हो सके। 21 सितंबर 2012 को पहली बार गवाही शुरू हुई। पहले वर्ष में 12 लोगों की गवाही हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए। इनमें सात तथ्य के साक्षी हैं।
इन आरोपितों की हो चुकी है मौत
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार बेहमई कांड की मुख्य आरोपित दस्यु सुंदरी फूलन देवी की नई दिल्ली में हत्या हो चुकी है। जालौन के कोटा कुठौंद के रामऔतार, गुलौली कालपी के मुस्तकीम, बिरही कालपी के लल्लू बघेल, बलवान, कालपी के लल्लू यादव, कोंच के रामशंकर, डकोर कालपी के जग्गन उर्फ जागेश्वर, महदेवा कालपी के बलराम, टिकरी के मोती, चुर्खी के वृंदावन, कदौली के रामप्रकाश, गौहानी सिकंदरा के रामपाल, मेतीपुर कुठौंद के प्रेम, धरिया मंगलपुर के नंदा उर्फ माया मल्लाह की मौत हो चुकी है।