बीड
मजलगांव की 38 वर्षीय लंकाबाई खराट 20वीं बार गर्भवती हैं। यूं तो उनकी पिछली कोई डिलिवरी अस्पताल में नहीं हुई है लेकिन इस बार उनकी जान पर खतरा है जिसे देखते हुए प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ता अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। दरअसल, लंकाबाई का वजन सिर्फ 45 किलो है और डॉक्टरों को उनकी डिलिवरी को लेकर कई आशंकाएं हैं। लंकाबाई को किसी भी तरह के खतरे से बचाया जा सके, इसके लिए उन्हें अस्पताल में डिलिवरी कराने के लिए मनाया गया है।
19 में से बचे सिर्फ 11
लंकाबाई के 16 सफल प्रसव रहे हैं, जबकि तीन गर्भपात हो गए। फिलहाल उनके 11 बच्चे हैं। बाकी पांच बच्चे प्रसव के कुछ घंटे या कुछ दिनों के अंदर मर गए।पिछले साल कूड़ा बीनने वाली लंकाबाई की डिलिवरी उनके पति ने कराई थी। हालांकि, बच्चा कुपोषित था और 5 महीने से ज्यादा नहीं जी सका। मजलगांव के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अनिल परदेसी ने बताया है कि इस बार लंकाबाई की जान को खतरा है। उन्होंने बताया कि लंकाबाई को अस्पताल ले जाने के लिए मनाने की कोशिशें की गईं ताकि उनका समय-समय पर चेक अप हो सके, दवाएं मिल सकें और सभी टेस्ट किए जा सकें ताकि डिलिवरी आराम से हो।
डिलिवरी के बाद खतरा
दरअसल, 38 साल की उम्र में ही 20 बार गर्भवती होने के कारण लंकाबाई के स्वास्थय पर असर पड़ा है। उनका वजन सिर्फ 45 किलो है जिससे उनके ऊपर पोस्ट-पार्टम हैमरेज का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि भारत में करीब 25.7 मैटरनल डेथ, पोस्ट पार्टम हैमरेज के कारण ही होती हैं। लंकाबाई अभी तक महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ से अपने चेकअप भी नहीं करा रही थीं। इसलिए ब्लॉक प्रशासन ने एक सामाजिक कार्यकर्ता सत्यभामा सौंदरमल की मदद ली।