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36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू और छह प्रशिक्षण विमान मिलेंगे भारत को

कोरोना की वजह से हो रही देरी, जुलाई के आखिरी हफ्ते में भारत पहुंच सकते हैं चार राफेल लड़ाकू विमान

नई दिल्ली. भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए करीब 58,000 करोड़ में समझौता किया था। यह विमान अब भारत को मिलने वाले हैं। सूत्रों की माने तो राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे के मई के पहले हफ्ते में भारत पहुंचने का कार्यक्रम था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसमें करीब 11 हफ्ते की देरी हुई है। बता दें कि भारत को मिलने वाले 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से पहले चार विमानों के जुलाई के आखिरी हफ्ते तक भारत पहुंचने की उम्मीद है।

36 लड़ाकू विमानों की खरीद का हुआ था समझौता
भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए करीब 58,000 करोड़ में अंतर सरकारी समझौता किया था। यह विमान कई घातक हथियारों से लैस हैं। राफेल विमान यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाले मीटिअर मिसाइल के साथ ही स्कैल्प क्रूज मिसाइल से सुसज्जित होंगे।

जो हवाई लड़ाई में बेहद कारगर हैं यह विमान
मीटिअर अगली पीढ़ी की दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो हवाई लड़ाई में बेहद कारगर है। इस मिसाइल प्रणालियों के अलावा राफेल लड़ाकू विमान में भारत की जरूरतों के मुताबिक कई फेरबदल भी किए गए हैं, जिनमें इजऱाइल के हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, रडार वार्निंग रिसीवर, लो बैंड सिग्नल जैमर, 10 घंटे का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, इंफ्रारेड खोज एवं ट्रैकिंग प्रणाली आदि शामिल हैं।

स्वागत की तैयारियां पूरी
इन लड़ाकू विमानों के स्वागत के लिए भारतीय वायुसेना ने आधारभूत ढांचा और पायलटों के प्रशिक्षण जैसी तैयारियां पहले ही कर ली हैं। इन विमानों की पहली स्क्वाड्रन अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात की जाएगी।

इसे वायुसेना के सबसे रणनीतिक रूप से स्थित वायुसैनिक अड्डों में से एक माना जाता है। भारत-पाक सीमा यहां से करीब 220 किलोमीटर दूर है। राफेल विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा वायुसैनिक अड्डे पर तैनात होगी।

400 करोड़ रुपए खर्च
वायुसेना ने इन दो केंद्रों पर विमानों के रख-रखाव के लिए ढांचे तैयार करने, हैंगर स्थापित करने आदि में करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किये हैं। इन 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे, जबकि छह प्रशिक्षण विमान। प्रशिक्षण विमान दो सीट वाले होंगे और उनमें युद्धक विमानों वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी।

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