बिलासपुर
हाईकोर्ट ने तीन साल कोर्स कर डॉक्टरों बनने वालों को असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर लिखने पर रोक लगा दी है. साथ ही इस मामले पर कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी किया है. इसमें जवाब मांगा गया है कि इतने साल बाद भी क्यों पॉलिसी नहीं बनाई गई.
बता दें कि 2001 में आईएमए और छत्तीसगढ़ राज्य स्वास्थ कर्मचारी संघ ने तीन साल के डॉक्टरों के खिलाफ याचिका लगाई थी. याचिका में तीन साल के डॉक्टरों को अवैध और असंवैधानिक बताया गया था. इनकी नियुक्ति को सर्विस नियम का उल्लंघन बताया गया.
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने इनको असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर बना रखा है, जबकि इनकी योग्यता ही नहीं है. एमबीबीएस डॉक्टरों से ज्यादा वेतन और सुविधा इनको दी जा रही है जो पूरी तरह सर्विस नियम के खिलाफ है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर लिखने पर रोक लगा दी गई है.