पूर्णिया
14 फरवरी को पूर्णिया (Purina) 250 साल का हो गया. 1770 में पूर्णिया की स्थापना की गई थी. 17 सौवीं शताब्दी की तरफ देखा जाए तो इसका भूगोल सहरसा से दार्जिलिंग तक था. यहां सुरजापुरी पूर्णिया की गांगी जमुनी संस्कृति है जिसके तहत हिन्दू मुसलमान दोनों खुद को सुरजापुरी कहते हैं. इसके अलावा जिले के इतिहास, भूगोल, भाषा और नागरिक संस्कृति के कई विशेष अध्याय हैं.
पिछले साल से ही पूर्णिया की भाषा और भूगोल की खासियत को रंगोली के माध्यम से प्रस्तुत करने का रचनात्मक कार्य जिला स्थापना दिवस पर स्कूली बच्चे करते आ रहे हैं. जिला सात नदियों और दस भाषाओं से सजा है और इसी को देखते हुए बच्चों ने खास रंगोली का निर्माण किया. साथ ही जिले की विशेषताओं को रंगोली के माध्यम से जाहिर किया. रंगोली में पूर्णिया की नदियों और भाषाओं को कला के माध्यम से शामिल किया गया.
पूर्णिया की यदि पुरानी परिधि देखी जाए तो यहां पर गंगा, महानन्दा, कोसी, सौरा, परमान, मेंची, कनकई नदियां बहती हैं. इसके साथ ही यहां पर हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, बांग्ला, मैथिली, अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, संथाली के साथ साथ मगही भी बोलने वाले लोग बसते हैं क्योंकि पूर्णिया बिहार के हर क्षेत्र के लोगों का एक लोकप्रिय स्थान रहा है.
पूर्णिया के 250 साल पूरे करने पर बॉलीवुड के अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने ट्वीट कर बधाई दी. उन्होंने लिखा कि सभी पूर्णिया वासियों को 250 साल की बधाई और शुभकामनाएं. इसके साथ ही अभिनेता अर्जुन कपूर, रिचा चड्ढा, इमरान हाशमी और गायिका तोची रैना ने भी पूर्णिया वासियों को इस दौरान बधाई दी.
पूर्णिया जिले की 250 साल का होने के उपलक्ष्य में पूरे शहर को सजाया गया. इस दौरान रोशनी की गई और जगह जगह पर रंगोली बनाई गई. साथ ही चौराहों को फूलों से सजाया गया. साथ ही 13 फरवरी को फिल्म फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया. इस दौरान दंगल और पंचलैट फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग भी की गई. इस उपलक्ष्य में कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख तौर पर पुरैनिया महोत्सव का आयोजन हुआ. जिसे राज्य सरकार ने राजकीय समारोह का दर्जा दिया.