मध्य प्रदेश

24 न्यायालयों के न्यायालयीन मामलों के निराकरण की प्रगति शून्य

भोपाल
सहकारिता विभाग में न्यायालयीन मामलों के निराकरण की गति काफी धीमी है। प्रदेश के 24 न्यायालयों में तो प्रगति शून्य है। इसको लेकर सहकारिता आयुक्त डॉ एमके अग्रवाल ने अधीनस्थ अफसरों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए है कि तीन साल से अधिक समय से लंबित प्रकरणों को एक माह में निपटाए।

न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा के दौरान यह सामने आया है कि पूरे प्रदेश में काफी अधिक संख्या में प्रकरण निराकरण हेतु शेष बचे है। हालात यह है कि पिछले माह तक ही 24न्यायालयों में निराकरण की प्रगति शून्य है। आठ न्यायालयों में तोइसदौरान दस प्रतिशत से भी कम प्रकरणों का निराकरण किया गया है। उमरिया, शहडोल, शाजापुर, सतना, शिवपुरी, सिंगरौलीमें निर्णित न्यायालयीन प्रकरण पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किए गए है। तीन साल से अधिक की अवधि से लंबित प्रकरणों की संख्या भी काफी अधिक है। न्यायालयीन सहकारी प्रकरणों के निराकरण में अफसरों की सुस्त रफ्तार को लेकर सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल ने तीखी नाराजगी जाहिर की है।

उन्होंने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के संयुक्त पंजीयक, सभी संभागों के संयुक्त पंजीयक न्यायालयीन, इंदौर, भोपाल,ग्वालियर और जबलपुर के उप पंजीयक न्यायालयीन तथा जिला कार्यालयों के उप और सहायक पंजीयकों को निर्देश दिए है कि जो मामले  तीन साल से अधिक समय से लंबित पड़े हुए है उन्हें एक माह में निपटाए और एक साल से तीन साल तक लंबित चल रहे प्रकरणों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करते हुए उनका दो माह में निराकरण करने के निर्देश दिए है।

उन्होंने कहा है कि जिन जिलों और संभागों में अलग से न्यायालयीन कार्य हेतु अधिकारी पदस्थ नहीं है, उन जिलों, संभागों में पीठासीन अधिकारी सप्ताह में कम से कम दो दिन न्यायालयीन कार्य हेतु तय करे तथा अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर तय दिनों में न्यायालयीन कार्य संपादित करे। जिन जिलों, संभागों में अलग से न्यायालयीन पीठासीन अधिकारी पदस्थ है उनमें सप्ताह में प्रत्येक कार्य दिवस में नियमित सुनवाई की जावे। न्यायालयीन प्रकरणों का निराकरण समय सीमा में किया जाए और अनावश्यक रुप से प्रकरणों में तिथियां नहीं बढ़ाई जाए तथा विधिक प्रावधानों का पालन करते हुए प्रकरणों का त्वरित गति से निराकरण सुनिश्चित कराएं।

उन्होंने न्यायालय में प्रस्तुत होंने वाले सभी प्रकरणों की प्रविष्टि अनिवार्य रुप से पोर्टल पर करने को कहा है। निरीक्षण के दौरान  बिना प्रविष्टि पाए गए प्रकरणों पर संबंधित रीडर और लिपिक के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

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