भोपाल
राज्य सरकार ने अपने वचन-पत्र पर अमल करते हुए बीते एक वर्ष में प्रदेश में करीब 214 करोड़ के सड़क निर्माण शुरू किये हैं। एमओआरटीएच से राशि प्राप्त कर शेष कार्य भी शीघ्र शुरू किए जायेंगे। बीओटी के तहत स्वीकृत मार्गों का संधारण अनुबंध के अनुसार शुरू किया जा रहा है। साथ ही, प्राथमिकता के आधार पर राज्य-मार्गों एवं एमडीआर पर स्थित सँकरे, जलमग्नीय एवं अत्यंत पुराने पुलों के पुनर्निर्माण की कार्यवाही की जा रही है। प्रदेश में कुल 2552 पुल-पुलियाओं का निर्माण कराये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा,प्रदेश में पुलों के निर्माण के लिए एक पंचवर्षीय योजना तैयार की गई है। इस योजना में 2 हजार करोड़ की लागत से 400 पुलों का निर्माण कराया जाएगा। मार्गों के रख-रखाव के लिए प्रतिमाह नियमित वीडियो कान्फ्रेंसिंग की जा रही है तथा अलग से उपलब्ध बजट से रख-रखाव का काम कराया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग ने राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाए हैं। प्रदेश में 10 करोड़ रूपये से अधिक लागत के सड़क एवं पुल कार्यों पर सुपर विजन कन्सल्टेन्ट का नियोजन कर गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में कार्य पूर्ण किया जा रहा है। एनडीबी परियोजना में प्रथम चरण में मण्डल स्तरीय प्रयोगशालाओं का उन्नयन किया जा रहा है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग की ग्रांट से भी 25 करोड़ के कार्य प्रस्तावित किये गये हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र में भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन के लिये स्वीकृत एवं प्रगतिरत कार्यों में भू-अर्जन और अतिक्रमण जैसी बाधाएँ दूर करने के लिये राजस्व, वन और खनिज विभाग के माध्यम से सतत् प्रयास किये जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग ने राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र में 4 में से 3 कार्यों में मुआवजा वितरण की कार्यवाही पूरी कर ली है तथा एक कार्य में करीब 87 प्रतिशत मुआवजा राशि का भुगतान भी कर दिया गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन के 13 कार्यों में विभिन्न स्तरों पर मुआवजा निर्धारण प्रक्रियाधीन हैं।
भारतमाला परियोजना में 3102 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के फोर-लेन उन्नयन के प्रस्ताव एमओआरटीएच को भेजे गए हैं। दो अथवा अधिक जिला मुख्यालयों को जोड़ने वाले मार्गों के उन्नयन कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। जिला मुख्यालय से तहसील मुख्यालयों को जोड़ने वाले 158 किलोमीटर लम्बाई के मार्गों के उन्नयन के लिए 197 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति शीघ्र जारी की जा रही है।
17 फ्लाई ओवर और 55 आरओबी निर्माण की कार्य-योजना बनी
प्रदेश में रेलवे लाइनों के कारण यातायात बाधित होने की समस्या के स्थायी समाधान के लिये ओव्हर-ब्रिज तथा अंडर-ब्रिज के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। रेलवे की पिंक बुक में शामिल तथा एक लाख टीयूव्ही होने पर रेलवे द्वारा 50 प्रतिशत की कास्ट शेयरिंग के आधार पर आरओबी एवं आरयूबी के कार्यों को सीआरएफ एवं राज्य बजट के अंतर्गत प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश में आरओबी एवं फ्लाई-ओवर के निर्माण के लिये पंचवर्षीय कार्य-योजना तैयार की गई है। इसमें अगले पाँच साल में 3 हजार 540 करोड़ लागत के 17 फ्लाई-ओवर तथा 55 आरओबी का निर्माण कराया जाएगा।
मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के 4 राष्ट्रीय राजमार्गों पर इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) संचालन के लिये चेंज ऑफ स्कोप प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। इन राष्ट्रीय राजमार्गों पर इसी माह में ईटीसी सुविधा चालू की जायेगी।
प्रत्येक टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस
प्रदेश में टोल टैक्स ठेकेदारों से अनुबंध के अनुसार सड़क संधारण कार्य कराया जा रहा है। वर्तमान अनुबंधों में दुर्घटना की स्थिति में घायल व्यक्तियों को निकटतम स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों तक पहुँचाना तथा प्राथमिक उपचार कराने का प्रावधान है। इसी के साथ, प्रदेश में आयुष्मान भारत से कैशलेस इंश्योरेंश स्कीम संचालित है। एडीबी-V परियोजना के एक कम्पोनेंट कैशलेस एक्सीडेंट इंश्योरेंश स्कीम में 30 हजार रुपये की राशि तक दुर्घटना सहायता का प्रावधान लागू है। सड़क दुर्घटना की स्थिति में नागरिकों के लिये टोल-फ्री नम्बर 1099 कॉल-सेंटर का संचालन किया जा रहा है। प्रत्येक टोल प्लाजा पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है। एआरएस प्रणाली का भी उन्नयन किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने शासकीय भवनों के निर्माण और रख-रखाव के लिये परियोजना क्रियान्वयन इकाई (PIU) के स्थान पर 'भवन निर्माण एवं रख-रखाव'' संचालनालय बनाने का निर्णय लिया है। अब जीर्ण-शीर्ण शासकीय कार्यालयों के भवनों को तोड़कर उनके स्थान पर बहु-मंजिला भवन बनाये जायेंगे।
प्रदेश में समस्त शासकीय सम्पत्ति भूमि और भवन की पंजी का संधारण कार्य लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। लोक निर्माण विभाग में सभी शासकीय भवनों की पंजी अद्यतन की जा रही है। इसके लिये सॉफ्टवेयर बनाकर उसमें सभी जरूरी जानकारी ऑनलाइन की जा रही है। नए ठेकेदारों के पंजीयन की प्रणाली को सरल किया गया है। पहले 3 श्रेणियों में ठेकेदारों का पंजीयन किया जाता था लेकिन अब मात्र एक श्रेणी में ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है। राज्य सरकार ने पंजीयन के लिये आवश्यक जानकारी तथा अभिलेखों में भी कमी की है।