इस साल धनतेरस से लेकर दीपावली तक तिथियों की ऐसी स्थिति बनी है जिससे उलझन की स्थिति पैदा हुई है। दरअसल एक ही तिथि दो दिन आने से यह कन्फ्यूजन है। दो दिन धनतेरस, दो दिन नरक चतुर्दशी और दो दिन अमावस्या तिथि है जिसमें दीपावली मनाई जाती है। लेकिन कोई भी त्योहार दो दिन नहीं मनाया जा सकता इसके लिए शास्त्रों में कुछ नियम बनाए गए हैं। इसी नियम के कारण 25 अक्टूबर को ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। जबकि त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर को भी है
इसलिए 25 अक्टूबर शुक्रवार को धनतेरस
धनतेरस के बारे में शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धनवंतरी सागर मंथन से प्रकट हुए थे इसलिए इसी दिन धनतेरस मनाया जाना चाहिए। लेकिन समस्या यह है कि त्रयोदशी तिथि दो दिन है। इस तरह की स्थिति आने पर शास्त्रों में बताए गए नियम के अनुसार जिस दिन शाम के समय त्रयोदशी यानी प्रदोष काल में त्रयोदशी हो उसी दिन धनतेरस की पूजा होनी चाहिए। इसी नियम की वजह से इस साल 25 अक्टूबर शुक्रवार को धनत्रयोदशी यानी धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा।
धनतेरस मुहूर्त और शुभ योग
त्रयोदशी तिथि का आरंभ शाम को 7 बजकर 8 मिनट पर हो रहा है। जो अगले दिन दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। प्रदोष काल शाम 5 बजकर 42 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। धन त्रयोदशी पर धन संपत्ति में स्थायित्व लाने के लिए स्थिर लग्न में पूजन करना शुभ रहता है। इस दिन शाम 6 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 45 मिनट तक वृषभ लग्न रहेगा।
इस समय करें धनवंतरी और धनतेरस की पूजा
धनतेरस के दिन आरोग्य यानी उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाले भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ था इसलिए इसदिन इनकी पूजा होती है। धनवंतरी महाराज की पूजा के पहले इस दिन घर के मुख्य द्वार पर एक कौड़ी रखकर एक दीप प्रकाशित करना चाहिए। इसके बाद एक दीप घर के बाहर या छत पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इसके बाद भगवान धनवंतरी की पूजा करनी चाहिए। इनसे प्रार्थना करें कि आपके घर में धन संपत्ति की वृद्धि हो और धन में ठहराव हो यानी बरकत रहे।
धनतेरस पूजा के लिए उत्तम समय
धनतेरस की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय शाम 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट है। क्योंकि इस दौरान स्थिर लग्न वृष होगा। प्रदोष काल और त्रयोदशी तिथि भी रहेगी। धनतेरस पर सोना, चांदी और स्थायी संपत्ति की खरीदारी के लिए भी यह समय सबसे उत्तम है।