लखनऊ
आम तौर पर लोग पुलिस की वर्दी देख दूर भागते हैं, लेकिन अनूप मिश्रा 'अपूर्व' के साथ ऐसा नहीं है। पीएसी मुख्यालय महानगर में बतौर एसआई तैनात अनूप को देख गली-मोहल्लों के बच्चे दौड़े चले आते हैं। वजह यह है कि अनूप पिछले 18 साल से मजलूमों के लिए 'द स्ट्रीट क्लास' चला रहे हैं। इस क्लास के जरिए वह शहर की बस्तियों के साथ आसपास के गांवों में भी बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा गरीब महिलाओं और लड़कियों को रोजगार देने की भी कोशिशों में जुटे हैं।
अनूप ने साल 1997 में पुलिस विभाग जॉइन किया था। पोस्टिंग उन्नाव में थी। वह बताते हैं कि एक दिन उन्नाव स्टेशन पर पास की बस्ती के दो बच्चों से मुलाकात हुई। उनसे पूछा कि कहां पढ़ते हो तो उन्होंने ना में जवाब दिया। वह जवाब मन के भीतर कहीं कचोट गया। मैंने उन्हें पढ़ाने का फैसला किया। एक परिचित की मदद से जगह का बंदोबस्त कर पढ़ाने लगा। शुरुआत 20 बच्चों से हुई। इस क्लास को 'द स्ट्रीट क्लास' नाम दिया। धीरे-धीरे बच्चे बढ़े और अभिभावकों को भी शिक्षा की अहमियत समझ आई। इस बीच साल 2000 में सहारनपुर ट्रांसफर हो गया, फिर दो साल बाद लखनऊ, लेकिन अनूप ने यह सिलसिला जारी रखा।
अनूप बताते हैं कि लखनऊ आने पर सबसे पहले वीआईपी रोड स्थित देवीखेड़ा गांव में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। नौकरी से वक्त निकालकर रोज एक से डेढ़ घंटे बच्चों को पढ़ाता। फिर पारा, काकोरी के भवानीखेड़ा, चकपुरवा, सरैया, दादूपुर, अलीनगर खुर्द में बच्चों को पढ़ाया। वह गांवों के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए सुविधाओं का भी इंतजाम करते हैं। इसके अलावा बेटियों की पढ़ाई, खेलकूद और महिलाओं की आर्थिक निर्भरता के लिए हर छह महीने पर अभियान भी चलाते हैं।
अनूप की पत्नी रीना मिश्रा भी पुलिस विभाग में हैं, जबकि बेटा आनंद कृष्ण 11वीं में बढ़ता है। वह बच्चों को पढ़ाने में आने वाला खर्च खुद उठाते हैं, जबकि अभियान और स्कूल में सुविधाओं के लिए एनजीओ और लोगों की मदद लेते हैं।