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14 दिन के लिए तिहाड़ जेल भेजे गए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम

 
नई दिल्ली 
INX मीडिया केस में गुरुवार को दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की अपील की, हालांकि पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया. कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि सीबीआई को बताना होगा कि पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजना क्यों जरूरी है?

चिदंबरम मामले पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. 30 मिनट के भीतर कोर्ट आदेश सुना सकती है. कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि आज तक एविडेंस के साथ छेड़छाड़ का कोई आरोप नहीं लगा है. आरोपी के खिलाफ डॉक्यूमेंट का ये पूरा केस है. ऐसे में आरोपी को जमानत दे दी जाए.  वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने से जुड़ा है. कोर्ट ही बेल याचिका पर फैसला करेगी. अगला कदम भी उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का ही होना चाहिए.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल की दलील पर विरोध जताया. उन्होंने कहा कि जब तक बेल याचिका पर सुनवाई नहीं होती, बहस गैरजरूरी है. कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायिक हिरासत के लिए रिमांड के लिए न्याय होना चहिए. रिमांड का ऑर्डर तथ्यों के आधार पर ही दिया जाना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि सभी याचिका पर ठीक तरीके से सीबीआई की याचिका पर गौर फरमाया जाए.

चिदंबरम ने कहा क्या कोई ऐसा साक्ष्य है जब मैंने गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की. क्या मैंने किन्हीं भी दस्तावेजों को प्रभावित करने की कोशिश की? मैंने कभी साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश नहीं की. सभी साक्ष्य दस्तावेज के रूप में हैं. मैं किसी के साथ क्या छेड़छाड़ कर सकता हूं.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग ममाले की गंभीरता समझते हुए पहले ही आदेश पारित किया है. जब तक बेल के लिए याचिका बढ़ाई नहीं जाती, बहस का सवाल ही नहीं उठता.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि मैंने जांच के विवरण दिए हैं. बैंकों के सभी विवरण लिए गए हैं. मैं यह नहीं कह रहा कि वे पूरे देश को प्रभावित कर देंगे, लिबरलाइज्ड रैमिटेन्स स्कीम (एलआरएस) बैंकों को जारी कर दिए गए हैं. वे बैंकों को प्रभावित कर सकते हैं.

आपको बता दें कि कोर्ट द्वारा पी. चिदंबरम को 5 सितंबर तक सीबीआई हिरासत में भेजा गया है, जो आज खत्म हो रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से भी इसी मामले में पी. चिदंबरम को अंतरिम जमानत नहीं मिली थी, जिसके बाद ईडी की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया था.

गुरुवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो सीबीआई ने पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की, लेकिन पी. चिदंबरम की ओर से कहा गया कि एजेंसी ने पूर्व वित्त मंत्री को 15 दिन के लिए हिरासत में रखा. लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किया.

कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सीबीआई कस्टडी में नहीं लेना चाहती है तो वह ईडी के सामने सरेंडर कर सकते हैं. लेकिन पी. चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता है. सिब्बल ने कहा कि सीबीआई जिन दावों को न्यायिक हिरासत के लिए रख रही है, वह गलत है. सीबीआई की ओर से तुषार मेहता ने अदालत में कहा है कि अगर  पी. चिदंबरम को जमानत मिलती है, तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने का डर है.

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