छत्तीसगढ़

12 स्कूलों में पहली बार वीडियो के जरिए लाईव पढ़ाई

रायपुर
छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक नई पहल करते हुए जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं है, वहां आॅनलाईन पढ़ाए जाने का नया फॉमूर्ला इजाद किया है। इसमें विभिन्न विषयों के आॅनलाईन वीडियो तैयार किए गए हैं। स्कूलों में जिन विषयों के शिक्षक नहीं है, वहां विषय विशेषज्ञों के माध्यम से पढ़ाई शुरू की गई है। पांच मिनट के वीडियों और लाईव-लेक्चर के माध्यम से पढ़ाई के बाद आॅनलाईन होमवर्क भी दिया जाता है। पॉयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 12 शासकीय स्कूलों में इसकी शुरूआत 10 फरवरी से हो चुकी है। इसमें सभी विषयों की ई-कक्षाएं उपलब्ध है। आने वाले समय में इसी योजना से करीब एक हजार स्कूलों को
लाभांन्वित करने का लक्ष्य है।

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कम्युनिकेशन के माध्यम से दोपहर 12 बजे विशेषज्ञ आॅनलाईन होते है। पहले पाठ से संबंधित वीडियो प्ले किया जाता है, फिर 20 मिनट के लेक्चर के बाद बच्चों के मन में जो प्रश्न होते है वे रियल टाईम पर अपने सवाल करते है। शिक्षक उनके प्रश्नों का उत्तर देते है। बच्चों को पढ़ाई ठीक से समझ में आ रही है या नहीं यह जानने के लिए जूम एप पर कॉन्फ्रेंसिंग टू-वे कम्युनिकेशन से बच्चों को होमवर्क भी दिया जाता है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि चयनित स्कूलों में सिर्फ वाई-फाई कनेक्टिविटी के खर्च पर बच्चों को एलसीडी, प्रोजेक्टर, लैपटॉप या मोबाइल पर कनेक्ट करके लाईव (जीवंत) पढ़ाई करायी जा रही है। बच्चे रियल टाईम पर टू-वे कम्युनिकेशन कर विशेषज्ञों से सवाल भी पूछ रहे है और इसके जवाब भी प्राप्त कर रहे है।

योजना के पीछे विभाग का उद्देश्य वंचित स्कूलों के बच्चों की ई-क्लास लगवाकर उनकी अधिगम प्रक्रिया सुनिश्चित करना और आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार करना है। प्रदेश के जिन स्कूलों में विशेष विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है, वहां की समस्या को दूर करने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है। स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र नवा रायपुर के माध्यम से शून्य बजट में दो जुगाड़ स्टूडियो बनाए गए है। यहां विषय विशेषज्ञ पहले तो अपनी विषयवस्तु का वीडियो शूट करवाते है और फिर उसका रिव्यू कर उसे राज्य के यू-ट्यूब चैनल डीइएल छत्तीसगढ़ पर अपलोड किया जाता है। विद्यार्थी इसे देखते है और समझ के आधार पर दिए गए कार्य को हल भी करते है। पॉयलेट प्रोजेक्ट में जिन 12 स्कूलों को चयनित किया गया है, उनमें चाम्पा, खरोरा, बेमेतरा, सेल, कोमाखान, बालोद, मुंगेली, खौना, सांकरा, नवापारा ( 2 स्कूल), बरना स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में से प्रत्येक स्कूल में एक समन्वयक नियुक्त किया गया है। जो बच्चों को वीडियो दिखाकर और आॅनलाईन क्लास के दौरान तकनीकी सहायक के रूप में उपस्थित रहते है।

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