नारायणपुर
जिले के दुर्गम क्षेत्र और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम उबड़-खाबड़ रास्ते, नदी-नालों को पारकर ओरछा क्षेत्र के वनाचंल गांव जहां आवागमन के साधन नहीं होने के कारण कई किलोमीटर तक दुर्गम मार्गों में पैदल चलकर गांवों के घरों, स्कूलों, आश्रमों, छात्रावासों एवं पैरामिलिट्री कैम्पों में पहुंचकर लोगों के मलेरिया की जांच की। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार इस बार कई ऐसे गांवों में मलेरिया जांच दल द्वारा मलेरिया की जांच की गई, जहां पहले कभी जांच नहीं की गयी थी। मलेरिया मुक्त अभियान के अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग जिला नारायणपुर द्वारा 15 जनवरी से लेकर अब तक चले इस सघन अभियान में जिले के 1 लाख 56 हजार 546 लोगों की मलेरिया जांच की गई है। जांच में 10559 महिला, पुरूष और बच्चे मलेरिया पॉजिटिव पाये गए, जिसमें से 236 प्रकरण पी.व्ही 10147 पीएफ एवं 176 मिक्स प्रकरण मिले। वहीं 152 गर्भवती महिलाओं में मलेरिया पॉजिटिव पाया गया, जिनका उपचार किया जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि नारायणपुर जिले को मलेरिया, एनिमिया और कुपोषण से मुक्त करने उद्देश्य से मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरूआत 15 जनवरी से की गई थी। अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग टीम ने घरों के साथ-साथ, स्कूलों, आश्रमों, छात्रावासों एवं पैरामिलिट्री कैम्पों में जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच की।
कलेक्टर श्री पी.एस.एल्मा ने राज्य शासन द्वारा बस्तर क्षेत्र के लोगों को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के लिए चलाये जा रहे अभियान में जिले के स्वास्थ्य अमले के काम की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कुपोषण का एक बड़ा कारण मलेरिया है। मलेरिया संक्रमण से रक्त की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया की स्थिति निर्मित होती है। साथ ही मलेरिया के कारण हीमोलिसिस होने से प्रोटीन तथा शरीर के अन्य पोषक तत्वों का भी हा्रस होता है जो कुपोषण का कारण बनता है। अत: मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान न केवल मलेरिया से मुक्ति दिलायेगा परंतु एनीमिया, कुपोषण, शिशु एवं मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने में कारगर सिद्ध हुआ है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आनंदराम गोटा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान में मलेरिया के बचाव की जानकारी लोगों तक पहुंचाने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। इसके अन्तर्गत हाट-बाजारों में कला जत्था द्वारा मच्छरदानी का प्रदर्शन कर स्थानीय बोली में इसके नियमित उपयोग के लिए प्रेरित किया गया। जागरूकतर हेतु प्रोजेक्टर द्वारा मलेरिया पर बनी विडियो फिल्म का प्रदर्शन भी गांव में किया गया। उन्होंने बताया कि इस क्रम में अब तक जिले के 29053 घरों का सर्वे किया गया है। जिसमें स्कूल, आश्रम अर्धसैनिक बलों के कैम्प भी शामिल है। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान अब तक 637 घरों में मलेरिया के लार्वा मौजूद मिले। जिन्हें मौके पर ही सर्वेक्षण दल द्वारा नष्ट किया गया। दल द्वारा मच्छरदानियों की जानकारी लेकर उसे लगाने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।