छत्तीसगढ़

​​​​​​​कुपोषण एवं एनीमिया से जंग : कुपोषित बच्चों तथा एनीमिक महिलाओं को दिया जा रहा पौष्टिक गर्म भोजन

  रायपुर

 प्रत्येक मां-बाप की ईच्छा होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ रहे, खेले-कूदे एवं मन लगाकर पढ़ाई करे, लेकिन कुपोषण एक ऐसा अभिशाप है, जिसमें बच्चे का शारीरिक विकास बाधित होता है, साथ ही पढ़ाई-लिखाई में भी रूचि नहीं होती। शरीर कमजोर होता है, इसलिए बीमारियां भी घेर लेती है। छत्तीसगढ़ के पांच वर्ष से कम आयु के 35.6 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और 15 से 49 वर्ष की 41.5 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं। कांकेर जिले के 27.1 प्रतिशत बच्चे कुपोषण की श्रेणी में आते हैं। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने प्रदेश को 3 वर्ष में कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
    राज्य सरकार के निर्देशानुसार कलेक्टर  के.एल. चौहान के मार्गदर्शन में कांकेर जिले में भी कुपोषण से मुक्ति के लिए अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत् 14 हजार 433 कुपोषित बच्चों एवं 5 हजार 459 एनीमिया पीडि़त महिलाओं को प्रतिदिन पौष्टिक गर्म भोजन का वितरण किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 साल के बच्चे तथा महतारी जतन योजना के अंतर्गत गर्भवती माताओं को पौष्टिक गर्म भोजन जिसके तहत् दाल, चावल, सब्जी, रोटी, गुड़, सलाद दिए जा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत प्रतिदिन अंडा भी दिया जा रहा है, अंडा नहीं खाने वाले बच्चों एवं महिलाओं को केला अथवा गुड़ एवं फल्ली से बना चिकी प्रदाय किया जा रहा है।
    कुपोषण से मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत 6 माह से 3 वर्ष के कुपोषित बच्चे एवं 15 वर्ष से 49 वर्ष की गंभीर एनीमिक महिलाओं को पौष्टिक गर्म भोजन दाल, चावल, सब्जी, रोटी, अंकुरित अनाज तथा अंडा दिया जा रहा है। अंडा नहीं खाने वाले को केला अथवा गुड़-फल्ली से बना चिकी का वितरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत पौष्टिक गर्म भोजन का वितरण ग्राम पंचायत एवं आंगनबाड़ी के माध्यम से किया जा रहा है।

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