नई दिल्ली
अगर आप मोटापे का शिकार हैं या फिर डायबीटीज के मरीज हैं या फिर नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं तो आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप नियमित रूप से अपने लिवर की जांच करवाते रहें। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि खराब लाइफस्टाइल का सबसे ज्यादा असर शरीर के लिवर पर पड़ता है और इस वजह से बिना कोई खास लक्षण के सामने आए बिना ही बड़ी संख्या में लोगों का लिवर अनहेल्दी और बीमार हो रहा है।
मिडिल एज्ड महिलाओं और पुरुषों के लिवर की हुई जांच
साल 2018 से 2019 के बीच दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बाइलरी साइंसेज (ILBS) ने शहर भर में 200 मोबाइल हेल्थ कैंप्स लगाए और मोहल्ला क्लिनिक और पॉलिक्लिनिक में औसतन 46 साल के आसपास के पुरुषों और महिलाओं के लिवर की जांच की है और यह जानने की कोशिश की उनमें लिवर फाइब्रॉसिस की दिक्कत है या नहीं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें लिवर के टीशू में लंबे समय तक चोट या जलन की वजह से घाव हो जाता है जिससे लिवर पूरी तरह से डैमेज हो सकता है।
3 में से 1 व्यक्ति को लिवर फाइब्रोसिस की दिक्कत
इस स्क्रीनिंग के दौरान ये नतीजे सामने आए की करीब 35.5 प्रतिशत यानी एग्जैमिन किए गए हर 3 में से 1 व्यक्ति को लिवर फाइब्रॉसिस था। इनमें से 14 प्रतिशत लोगों का लिवर फाइब्रॉसिस तो अडवांस स्टेज में पहुंच चुका था। ऐसे लोगों का अगर समय पर इलाज न किया जाए तो उनका लिवर हमेशा के लिए डैमेज हो सकता है। वहीं, 3 प्रतिशत लोगों में लिवर सिरॉसिस की बीमारी पायी गई। ILBS में एपिडेमोलॉजी की असिस्टेंट प्रफेसर डॉ अर्चना रस्तोगी कहती हैं, 'जिन लोगों में लिवर फाइब्रॉसिस की बीमारी का पता चला था उन्हें नजदीकी मोहल्ला क्लिनिक या पॉलिक्लिनिक में मेडिकल ऑफिसर के पास आगे के इलाज के लिए रेफर किया गया।'
लिवर से जुड़ी खतरनाक बीमारियों के लिए जागरुकता जरूरी
ILBS के इस स्क्रीनिंग प्रोग्राम में 7 हजार 624 लोगों की जांच की गई। इनमें से 804 लोगों ने शराब का सेवन करने की बात स्वीकारी। ILBS के डायरेक्टर डॉ एस के सरीन कहते हैं, यह स्टडी इस बात को हाइलाइट करती है कि क्रॉनिक लिवर डिजीज को लेकर लोगों के बीच जागरुकता लाने की जरूरत है ताकि लिवर सिरॉसिस या फाइब्रॉसिस की बीमारी के खतरे से लोगों को अवगत कराया जा सके। डॉ सरीन आगे कहते हैं, ऐल्कॉहॉल का सेवन करने वाले, डायबीटीज के मरीज और दूसरी मेटाबॉलिक बीमारियों से पीड़ित लोग हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं और ऐसे लोगों में लिवर से जुड़ी बीमारी का जल्दी पता लगाया जा सके, इसके लिए स्ट्रैटजी बनाने की जरूरत है।
हेपेटाइटिस के साथ ऐल्कॉहॉल और मोटापा भी जिम्मेदार
डॉक्टर कहते हैं कि 2 से 3 दशक पहले तक हेपेटाइटिस को ज्यादातर लिवर से जुड़ी बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता था। हेपेटाइटिस की वजह से लिवर की बीमारियों में इजाफा नहीं हुआ है लेकिन मोटापा, ऐल्कॉहॉल का सेवन और डायबीटीज की वजह से लिवर से जुड़ी बीमारियों के मामले काफी बढ़ गए हैं।