नई दिल्ली
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के लगभग एक-तिहाई विधायकों पर टिकट कटने की तलवार लटक रही है। रणनीति के हिसाब से कुछ विधायकों की सीटें बदली जा सकती हैं, लेकिन इसमें उन नेताओं खासकर मंत्रियों को रियायत नहीं मिलेगी, जो हार के डर से सीट बदलना चाहते हैं। जाट और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के कुछ नेता सीट बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
उम्मीदवारों के चयन के पहले चुनावी तैयारियों, प्रबंधन, प्रचार और मुद्दों को लेकर रविवार को हुई समीक्षा बैठक में यह लगभग साफ हो गया कि चुनाव अभियान में केंद्रीय मुद्दे हावी रहेंगे। सरकार की उपलब्धियों का बखान तो होगा, लेकिन मोदी सरकार-दो के दौरान लिए गए बड़े व ऐतिहासिक फैसले जैसे अनुच्छेद-370 हटाना, तीन तलाक खत्म करना आदि आगे रहेंगे।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व ने भी राज्य के नेताओं को कहा है कि वे केंद्रीय मुद्दों को अहमियत दें। पार्टी का मानना है कि राज्य सरकार के कामकाज के खिलाफ विपक्ष के पास कहने को कुछ नहीं है। ऐसे में बड़ी जीत के लिए बड़े मु्द्दों पर जाना जरूरी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के तीन ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) और तीन सलाहकारों ने इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश सरकार ने सभी इस्तीफों को मंजूर कर लिया है।
ओएसडी और सलाहकारों के इस्तीफे
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के तीन ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) और तीन सलाहकारों ने इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश सरकार ने सभी इस्तीफों को मंजूर कर लिया है। अधिकारियों के मुताबिक इस्तीफा देने वालों में प्रिंसिपल ओएसडी नीरज दफ्तुआर, ओएसडी भूपेंश्वर दयाल और ओएसडी अमरेंद्र सिंह शामिल हैं।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन, अमित आर्य व प्रधान राजनीतिक सलाहकार दीपक मंगला ने भी अपना पद छोड़ दिया है। सभी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के लिए प्रचार करने की इच्छा जताई है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 18 और 20 सितंबर को मुख्यमंत्री को इस्तीफे सौंपे गए थे। मुख्यमंत्री ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले सभी इस्तीफों को तत्काल प्रभाव से स्वीकृत कर लिया था। मुख्य सचिव कार्यालय ने सोमवार को इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी किए।