मध्य प्रदेश

हम पूरी तरह से आश्वस्थ हैं कि सदन में बहुमत साबित करेंगे: जनसंपर्क मंत्री शर्मा

भोपाल
मध्यप्रदेश में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने के निर्देश दिए जाने के कुछ ही घंटो बाद कांग्रेस ने दावा किया है कि वह सदन में अपना बहुमत साबित करने में सफल रहेगी और छह-सात भाजपा विधायक भी कमलनाथ को समर्थन देंगे।

इसी बीच कांग्रेस के विधायक रविवार सुबह जयपुर से लौट कर भोपाल पहुंच गए। वहीं, भाजपा ने कहा कि कांग्रेस सरकार बहुमत खो चुकी है और वह बहुमत साबित करने में सफल नहीं होगी।

मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने रविवार को यहां मीडिया को बताया, ''सभी विधायक हमारे साथ हैं। सिर्फ छह विधायक कम हुए हैं। सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा है। कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद भी 121 से ज्यादा विधायक हमें विश्वास प्रस्ताव पर मतदान में समर्थन करेंगे। भाजपा पक्ष के छह-सात विधायक भी कमलनाथ को समर्थन देंगे।''

उन्होंने कहा, ''हम पूरी तरह से आश्वस्थ हैं कि सदन में बहुमत साबित करेंगे।''

उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को विश्वासमत साबित करने के लिए सदन में 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सदन में कब, क्या होगा यह विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे।

उन्होंने कहा कि जो कुछ भी सदन में होगा, उसका निर्णय विधानसभा अध्यक्ष लेंगे।

शर्मा ने आरोप लगाया, ‘‘हमारे विधायकों को भाजपा ने बेंगलुरू में बंधक बनाया है और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा उन्हें वहां से भोपाल लाने के लिए विमान में बैठने से रोक रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त करके एवं कांग्रेस के विधायकों को बंधक बना कर प्रजातंत्र की सीधे- सीधे हत्या कर रही है।’’

शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा केवल विधायकों को डरा-धमका सकती है और खरीद-फरोख्त कर सकती है।

जब उनसे सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस को विश्वासमत में असफल होने का डर है, तो इस पर उन्होंने कहा, ''डर इनको :भाजपा: है, इसलिए वे विधायकों को हरियाणा ले गये, बेंगलुरू ले गये और उन्हें बंधक बनाया।''

शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं द्वारा बंधक बनाये गये ‘‘हमारे विधायकों पर तंत्र विद्या कर हिप्नोटाइज’’ किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा नेता बंधक बनाये गये ’’हमारे विधायकों के परिवार वालों को भी डरा-धमका रहे हैं’’।

इसी बीच, मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ''कांग्रेस बहुमत खो चुकी है। राज्यपाल कह रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, राज्यपाल ने जो पत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजा है, उसमें कहा गया है।''

शर्मा द्वारा कांग्रेस विधायकों को हिप्नोटाइज (सम्मोहित करना) कराये जाने पर पूछे गये सवाल के जवाब में मिश्रा ने कहा, ''इनके विधायक हिप्नोटाइज हो जाते हैं। :बगलामुखी मंदिर में शनिवार को: पूजा करके :मंत्री पी सी शर्मा: आये हैं, ठीक हो जाएंगे।''

मिश्रा ने कहा, ''कुहासे के बादल छंटने वाले हैं। शाम तक सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।''

उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार नहीं चला रही है, केवल मुंह चला रही है।

मिश्रा ने कहा कि भाजपा एवं कांग्रेस दोनों पक्षों ने शक्ति परीक्षण की मांग राज्यपाल से की है और यदि भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को अपहरण कर बंधक बनाया है तो राज्यपाल ने शक्ति परीक्षण क्यों स्वीकार कर लिया है जिससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस झूठ बोल रही है।

उन्होंने कहा, ''मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को अपहरण करने वालों को गिरफ्तार करना चाहिए। क्यों गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं?''

जब उनसे सवाल किया गया कि क्या विधानसभा अध्यक्ष शक्ति परीक्षण का समय बढ़ा सकते हैं, तो इस पर मिश्रा ने कहा, ''राज्यपाल एवं विधानसभा अध्यक्ष दोनों ही संवैधानिक पद हैं। वे ही तय करेंगे, लेकिन राज्यपाल के कहने के बाद कोई गुंजाइश नहीं है।’

जब उनसे पूछा गया कि भाजपा विधायक कब तक हरियाणा के मानेसर से भोपाल पहुंच रहे हैं, तो इस पर उन्होंने कहा, ''शाम तक बता देंगे।''

वहीं, कांग्रेस के विधायक आज जयपुर से भोपाल लौट गए हैं। इसके लिए भोपाल हवाईअड्डे पर धारा 144 लगा दी गई थी और उनके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।

मालूम हो कि ज्योतिरादित्य ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और वह बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये। उनके साथ ही मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों सहित 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश उनके कट्टर समर्थक हैं। इन 22 विधायकों में से 19 बेंगलुरू में एक रिसॉर्ट में है, जबकि तीन विधायकों का अब तक कोई पता-ठिकाना नहीं है। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है।

 

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