रायपुर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस में अवसर पर अपने भाषण में घोषण की थी कि राज्य में प्रारंभिक कक्षाओं की पढ़ाई स्थानीय भाषा-बोलियों में की जाएगी। शासन का प्रमुख उद्देश्य है कि बच्चे अपनी मातृभाषा में प्रारंभिक पढ़ाई करें, जिससे उनमें बेहतर समझ विकसित हो और धीरे-धीरे वह हिन्दी और अंग्रेजी भाषा भी सीख लें। इसके लिए द्विभाषायी पुस्तक तैयार करने का निर्णय लिया गया है।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर एक सप्ताह में जिले में स्थानीय भाषा-बोलियों में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई की आवश्यकता वाले स्कूलों का चिन्हांकन करने, इन स्कूलों में स्थानीय भाषा-बोलियों का भी चिन्हांकन करने के साथ ही स्कूलवार एवं भाषावार बच्चों की संख्या, स्थानीय भाषा-बोलियों के लिए छपने वाली द्विभाषायी पुस्तकों की संख्या, इन स्कूलों में स्थानीय भाषा एवं बोलियों का ज्ञान रखने वाले शिक्षकों की पहचानकर जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टरों से कहा गया है कि यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है और इन्हें समय-सीमा में पूरा किया जाना है, जिससे पुस्तकों की छपाई समय से पूरी हो सकें।
जिला कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप जिलों में ऐसे स्कूलों का चिन्हांकन कर ले, जिनमें स्थानीय भाषा-बोलियों में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई की आवश्यकता है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा-बोलियों को चिन्हांकन भी कर लिए जाए। कलेक्टरों से यह भी कहा गया है कि स्कूलवार एवं भाषावार बच्चों की संख्या की गणना कर ली जाए, जिससे स्थानीय भाषा-बोलियों के लिए छपने वाली आवश्यक द्विभाषायी पुस्तकों की संख्या का पता लग सकें। कलेक्टरों से इन स्कूलों में पदस्थ ऐसे शिक्षकों की पहचान करने कहा गया है जो स्थानीय भाषा-बोलियों का ज्ञान रखते हैं। ऐसे शिक्षकों के माध्यम से इन स्कूलों में पदस्थ अन्य शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा सके। सभी जानकारी तैयार कर संचालक लोक शिक्षण द्वारा भेजे गए प्रारूप में प्रेषित की जाए। इस जानकारी से स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को भी अवगत कराया गया।
प्रत्येक जिले के वहां बोली जाने वाली भाषा-बोली के अनुसार पुस्तक बनाने की योजना है, इसके लिए कलेक्टरों से कहा गया है कि संकुल स्तर पर हिन्दी का स्थानीय भाषा-बोली में अनुवाद स्थानीय शिक्षकों से करा के द्विभाषी पुस्तकें तैयार कर ली जाए और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को भेजी जाएं। कलेक्टरों से कहा है कि यह सभी कार्य अपने पर्यवेक्षण में एक सप्ताह में पूरा करा के अर्धशासकीय पत्र के साथ जिले के लिए द्विभाषी पुस्तकों का प्रारूप तैयार कर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को भेजा जाए।