गिलगित-बाल्टिस्तान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा रद्द कर दिया गया है. वह कुछ देर पहले ही स्कर्दू पहुंचे थे और वहां वह एक जनसभा को संबोधित करने वाले थे. लेकिन सत्तारुढ़ पीटीआई से जुड़े सूत्रों के अनुसार खराब मौसम के कारण यह जनसभा रद्द कर दी गई है.
प्रधानमंत्री इमरान खान को आज स्कर्दू के नगर निगम ग्राउंड में जनसभा को संबोधित करना था जहां वह क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़े पैकेज का ऐलान करने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण इमरान को यह जनसभा रद्द करनी पड़ी.
कश्मीर मामलों और गिलगिट-बाल्टिस्तान के संघीय मंत्री अली अमीन गंडापुर, गिलगिट-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री हफीजुर रहमान, गवर्नर राजा जलाल हुसैन मकपून, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के गिलगिट-बाल्टिस्तान शाखा के अध्यक्ष सैयद जाफर शाह और कई केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य स्कर्दू में मौजूद थे. इनकी कोशिश प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यक्रम को सफल बनाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण यह नहीं हो सका.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही इमरान खान लगातार पाक अधिकृत कश्मीर का दौरा कर रहे हैं. पिछले महीने 'कश्मीर ऑवर' के बाद इमरान खान ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की राजधानी मुजफ्फराबाद में 13 सितंबर को एक बड़े जलसे में कहा था कि UNGA में कश्मीर का मसला फिर से उठाएंगे. आर्थिक हितों के कारण मुस्लिम देशों ने भी इस मसले पर हमारा साथ नहीं दिया.
तब प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था, 'मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने की कोशिश की है, लेकिन मैं आज आपसे कहता हूं कि अभी लाइन ऑफ कंट्रोल पर जाने की जरूरत नहीं है. आप लोग तब लाइन ऑफ कंट्रोल जाना जब मैं आपसे जाने को कहूं. '
पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन
गिलगित-बाल्टिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान के विवादित इलाकों में गिना जाता है और वहां पर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन होते रहते हैं. विवाद तब बढ़ गया जब महज एक साल पहले उसने गिलगित-बाल्टिस्तान के निवासियों के सभी अधिकार अवैध रूप से रद्द कर दिए थे.
गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश 2018 ने गिलगित बाल्टिस्तान परिषद के सभी अधिकार समाप्त कर दिए और क्षेत्र के संबंध में पूरा अधिकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को सौंप दिया. इस आदेश के तहत, स्थानीय निकायों के सभी अधिकार छीन लिए गए और यहां तक कि कर लगाने का अधिकार भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया, जिसे कोर्ट तक में चुनौती नहीं दी जा सकती.
पाक ने कब किया बलपूर्वक कब्जा?
गिलगित-बाल्टिस्तान के न्यायिक तंत्र में भी दखल कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका के अधिकारियों को चुनने का अपना रास्ता साफ कर लिया. स्थानीय लोगों ने इस कदम को क्षेत्र के लोगों का भविष्य में दमन करने वाला बताया. पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर बलपूर्वक 1947 में कब्जा कर लिया था और तबसे इस पर अवैध कब्ज किए हुए है.
पिछले साल भारत ने पाकिस्तान सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया था. विदेश मंत्रालय ने 27 मई 2018 को दिल्ली में पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त को समन भेजा था और उन्हें स्पष्ट रूप से बता दिया था कि 1947 में बंटवारे के आधार पर गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का आंतरिक हिस्सा है.
भारत की ओर से पाकिस्तानी राजनयिक को जानकारी दी गई कि पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र के किसी हिस्से की स्थिति को जबरन बदलने के लिए की गई कोई भी कार्रवाई वैध नहीं मानी जाएगी और ना स्वीकार की जाएगी. कब्जे वाले क्षेत्रों की सीमाओं को बदलने की मांग करने की अपेक्षा पाकिस्तान को अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र को तत्काल खाली कर देना चाहिए.