भोपाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ से माफिया के खिलाफ फ्री हैंड मिलने के बाद कार्रवाई शुरू हो गई है। शुक्रवार को राजधानी की सबसे विवादित रोहित हाउसिंग सोसायटी के मास्टरमाइंड घनश्याम सिंह राजपूत व संचालक मंडल में रहे 24 पदाधिकारियों पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर ली है। राजपूत के खिलाफ फर्जीवाड़े की पहली शिकायत ईओडब्ल्यू में 2009 में हुई थी, लेकिन उसके रसूख के आगे जांच एजेंसियों की फाइलें बार-बार बंद हो जाती थीं। राजपूत ने खुद और पत्नी संध्या सिंह के नाम से सोसायटी में 2003 में दो प्लॉट लिए। इसके बाद 2005 में वह षड्यंत्रपूर्वक खुद सोसायटी के संचालक मंडल में शामिल हो गया। ईओडब्ल्यू की इस कार्रवाई से साफ हो गया है कि गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल में पदाधिकारी रहे लोग पद से हटने के बाद भी घपले-घोटालों की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
ईओडब्ल्यू अधिकारियों का कहना है कि संस्था के अकाउंट से 22.70 करोड़ की हेराफेरी के प्रमाण मिले हैं। सोसायटी के रिकार्ड को जानबूझकर गायब किए जाने की बात भी सामने आई है। भास्कर संवाददाता ने जब राजपूत से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यदि एफआईआर हुई है तो वे भी अपना पक्ष रखेंगे।
एफआईआर इनपर भी : सोसायटी के संचालक मंडल में सदस्य रहे तुलसीराम चंद्राकर, मोहम्मद अयूब खान, श्रीकांत सिंह, केएस ठाकुर, एलएस राजपूत, बसंत जोशी, श्रीमती सुरेंद्रा, ज्योति तारण, अमरनाथ मिश्रा, अनिल कुमार झा, रेवत सहारे, अमित ठाकुर, एमडी सालोडकर, गिरीशचंद्र कांडपाल, अरूण भगोलीवाल, बालकिशन निनावे, सीएस वर्मा, सविता जोशी, सुशीला पुरोहित और रामबहादुर और सीमा सिंह , सुनील चौबे और राकेश प्रताप के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। रामबहादुर घनश्याम का चचेरा भाई है और सीमा सिंह उसकी भतीजी है।