भिलाई
सेल प्रबंधन ने कैश की कमी से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। वह अपने आयरन ओर खदानों में वर्षों से जमा लो ग्रेड का फाइंस बेचने जा रहा है। झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में बीएसपी की कैप्टिव माइंस दल्ली राजहरा में कुल 70 एमटी लो ग्रेड फाइंस जमा है। जिसमें सबसे स्टाक बीएसपी की दल्ली-राजहरा माइंस में है। पहले चरण में 10 एमटी लो ग्रेड फाइंस भेजा जा रहा है। जिससे 17000 करोड़ रुपए जुटने की उम्मीद है। केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश के बाद आरएमडी ने इसकी मंजूरी दे दी है।
लो ग्रेड फाइंस बेचने के लिए प्रबंधन ने पहले चरण में झारखंड की तीन माइंस को शामिल किया है। इनमें किरूबुरू से 2 लाख टन, मेघाहातुबुरू से 3 लाख टन और गुआ माइंस से 5 लाख टन फाइंस नीलाम किया जाएगा। प्रबंधन ने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। अलग-अलग माइंस में 13 से 23 दिसंबर तक नीलामी के दिन निर्धारित किया गया है। इसमें जो कंपनी सबसे अधिक दाम लगाएगी, प्रबंधन उसके साथ ही अनुबंध करेगा। फिलहाल एक टन लो ग्रेड फाइंस का दाम करीब 1700 रुपए बाजार में है। उस हिसाब से 70 एमटी फाइंस की कीमत 1.70 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है।
सेल और बीएसपी को आयरन ओर माइंस का अलाटमेंट स्टील प्रॉडक्ट तैयार करने के लिए किया गया है। लिहाजा वह सीधे आयरन ओर और फाइंस नहीं बेच सकती। लिहाजा इसके लिए खनिज मंत्रालय और संबंधित राज्य शासन से मंजूरी अनिवार्य है। इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहल करते हुए खनिज मंत्रालय से संपर्क साधते हुए इस दिशा में कार्रवाई करने कहा। खनिज मंत्रालय ने सेल के आरएमडी को खदानों में जमा फाइंस बेचने को मंजूरी दी।
खनिज मंत्रालय ने इस्पात मंत्रालय की मांग पर शत-प्रतिशत लो ग्रेड फाइंस बेचने के साथ ही आयरन ओर को भी निजी इस्पात कंपनियों को बेचने की मंजूरी दी है। हालांकि इसके लिए उसने सीमा निर्धारित कर रखी है। सेल खदान में जमा आयरन ओर का 25% हिस्सा ही बेच सकेगा। प्रबंधन को 75% स्टाक खुद के प्लांट के लिए रखना होगा। कैप्टिव माइंस फिलहाल इस स्थिति में नहीं है कि वह आयरन ओर बेच सके, क्योंकि राजहरा में ओर का स्टाक खत्म होने की ओर है।