नई दिल्ली
रक्षा मंत्रालय के तहत बनाए गए मिलिटरी अफेयर्स डिपार्टमेंट (डीएमए) का अभी अंतरिम ढांचा तैयार किया गया है। औपचारिक ढांचे के गठन के लिए प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास भेजा गया है। इस विभाग के सेक्रटरी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत हैं।
सीडीएस का एक अहम काम तीनों सेनाओं के लिए खरीद में प्राथमिकता तय करना है। जिस पर काम चल रहा है। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की अब जो अगली मीटिंग होगी उसमें सेना के लिए खरीद के मामलों को उस तरह लिया जाएगा जिस तरह सीडीएस प्राथमिकता तय करेंगे।
'बन गया अंतरिम ढांचा'
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल मुकेश अग्रवाल ने कहा कि अभी हमारे पास अंतरिम ढांचा है। अभी वित्तीय पावर अडिशनल सेक्रटरी और जॉइंट सेक्रटरी को नहीं मिल पाई है क्योंकि अभी मंजूरी आना बाकी है। वित्तीय मंजूरी से जुड़ी सारी फाइलें अभी सेक्रटरी डीएमए के पास आ रही हैं। हमने छोटा स्ट्रक्चर बनाया है क्योंकि हमारे पास डोमेन स्पेशलिस्ट हैं। डीएमए का अभी जो अंतरिम ढांचा बनाया गया है करीब एक साल तक उसी में काम करके दिखा जाएगा। अगर बदलाव की जरूरत महसूस हुई और लगा कि विस्तार करना है तो फिर बदलाव किया जाएगा।
डीएमए में शामिल होंगे दो सिविलियंस
डीएमए में सेक्रटरी (सीडीएस) के अंडर एक अडिशनल सेक्रटरी, एक सेक्रटरी (ट्रांसफॉर्मेशन ऐंड कॉर्डिनेशन) होंगे। इसके साथ पांच जॉइंट सेक्रटरी होंगे। जिसमें एक आर्मी, एक नेवी और एक एयरफोर्स ऑफिसर और बाकी दो सिविलियंस होंगे। अडिशनल सेक्रटरी लेफ्टिनेंट जनरल या इसके बराबर के रैंक के होंगे। रेवेन्यू प्रॉक्योरमेंट (सैलरी सहित डिपार्टमेंट को चलाने के लिए रोजमर्रा के खर्चे) का जिम्मा अब डीएमए के पास है और जो वित्तीय पावर अब तक डिफेंस सेक्रटरी के पास थी वह अब डीएमए सेक्रटरी के पास जाएंगी। कैपिटल प्रॉक्योरमेंट (साजो सामान की खरीद) का जिम्मा अभी भी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के पास रहेगा, जिसे डिफेंस सेक्रटरी हेड करते हैं लेकिन सभी खरीद की प्राथमिकता डीएमए तय करेगा।