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सुखोई से दागी जा सकेगी ब्रह्मोस, परीक्षण पूरा

चांदीपुर
भारत ने ओडिशा के चांदीपुर एकीकृत मिसाइल परीक्षण रेंज से दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि मोबाइल लॉन्‍चर से ब्रह्मोस के लैंड और एयर अटैक संस्‍करण का परीक्षण किया गया है। उन्‍होंने एयर अटैक संस्‍करण का परीक्षण सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमानों से किया गया है। इसके परीक्षण के साथ ही सुखोई विमानों में इन मिसाइलों को तैनात करने से पहले होने वाले परीक्षण का काम पूरा हो गया है।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि सुखोई विमान तीसरी बार ब्रह्मोस को सफलतापूर्वक दागा गया है। उन्‍होंने बताया कि इन मिसाइलों में ज्‍यादातर उपकरण स्‍वदेशी लगाए गए थे। इनमें मिसाइल एयर फ्रेम, ईंधन प्रबंधन प्रणाली और डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया टारगेट सीकर शामिल है। इससे पहले भारत ने सितंबर में चांदीपुर तट पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के खास वर्जन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था जिसे जमीन के साथ ही समुद्र से भी दागा जा सकता है।

500 किमी है मारक क्षमता
डीआरडीओ ने जून 2019 में 450 किमी तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया था। ब्रह्मोस के चेयरमैन सुधीर मिश्रा ने हाल ही में कहा था कि इस मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ाकर 500 किमी किया जा सकता है। बता दें कि ब्रह्मोस डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम का एक साझा उपक्रम है। ब्रह्मोस मिसाइल दिन या रात, हर मौसम में भारतीय वायुसेना को समुद्र या जमीन पर किसी भी लक्ष्य को सटीक निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करता है। भारत इस मिसाइल को बेचने के लिए इंडोनेशिया, फिलीपीन्‍स, व‍ियतनाम समेत कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है।

पाकिस्‍तानी एयरफोर्स पर मिलेगी काफी बढ़त
गौरतलब है कि अभी 40 सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल को लगाया जाएगा। विमानों में इस मिसाइल को लगाने का लक्ष्‍य दिसंबर 2020 रखा गया है। रक्षा व‍िश्‍लेषकों का मानना है कि इस मिसाइल के एयरफोर्स में शामिल होने के बाद भारतीय वायुसेना को पाकिस्‍तानी एयरफोर्स पर काफी बढ़त मिल जाएगी। यही नहीं इस मिसाइल के एयरफोर्स में शामिल होते ही भारत की जमीन और समुद्र में हमला करने की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। 2 .5 टन वजनी इस मिसाइल के हवाई संस्‍करण की मारक क्षमता 290 किमी है। इसे 400 किमी तक बढ़ाया जा सकता है।

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