भोपाल
पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा 14 सितम्बर को सिंगरौली में थर्मल पॉवर संयंत्रों की राख के बेहतर प्रबंधन की राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। कार्यशाला में प्राप्त निष्कर्षों से फ्लाई ऐश समस्या के निराकरण में काफी मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ. विमल कुमार सेक्रेटरी जनरल सी-फॉर्म शामिल होंगे। डॉ. विमल कुमार पूर्व मिशन निदेशक एवं प्रमुख फ्लाई ऐश यूनिट डी.एस.टी. केन्द्र सरकार में रह चुके है। प्रशांत प्रिसिंपल साईंटिस्ट, सीएसआईआर-धनबाद, डॉ दिनेश गोयल पूर्व ई.डी. एसटीईपी थॉपर यूनिवर्सिटी पटियाला, यू.के. गुरू विट्ठल चीफ साईंटिस्ट सीएसआईआर- नई दिल्ली, डॉ. एस. मुरली प्रिंसिपल साईंटिस्ट सीएसआईआर-भोपाल और एच.के. शर्मा डायरेक्टर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान देंगे।
प्रदेश में थर्मल पॉवर संयंत्रों से उत्पन्न राख के पर्यावरणीय प्रबंधन के लिये उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति में प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण, प्रमुख सचिव लोक निर्माण, आयुक्त मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल, सचिव ऊर्जा, सचिव खनिज साधन तथा सदस्य सचिव मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल हैं। भवन, सड़क, फ्लाई ओवर आदि के निर्माण में राख से बने उत्पादों का उपयोग, निर्माण कार्यों और लो-लाईंग एरिया की भराई में टॉप स्वाईल के स्थान पर राख का उपयोग, मनरेगा, स्वच्छ भारत अभियान, नगरीय एवं ग्रामीण आवास योजनाओं तथा इण्डस्ट्रियल एस्टेट में अधोसंरचना विकास कार्यों में राख से बने उत्पादों का उपयोग के निर्देश निर्माण एजेन्सियों को दिये गये हैं।
सात खदानों को अनुमति
फ्लाई ऐश की अनुपयोगी खदान में भराव के लिये खदानों को चिन्हित किया गया है। सात खदानों को फ्लाई ऐश भराव की अनुमति दी गयी है। वर्तमान में एनसीएल सिंगरौली की गोरमी खदान में फ्लाई ऐश भराव कार्य शुरू कराया गया है। लो-लाइंग एरिया में फ्लाई ऐश से फिलिंग की अनुमति दी गई है। निर्माण कार्यो में फ्लाई ऐश का उपयोग बढ़ाने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।