रायपुर
छ्त्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Assembly) के शितकालीन सत्र (Winter Session) के पांचवें दिन सदन में शुक्रवार को 2017-18 की वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई. छत्तीसगढ़ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ( Comptroller and Auditor General) की ताज़ा रिपोर्ट में पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार के कार्यकाल के दौरान एक बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई गई है. कैज की रिपोर्ट सामने आने के बाद पिछली सरकार के वित्तीय मैनेंटमेंट पर सवाल खड़े हो रहे है. रिपोर्ट के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार ने न तो बजट का सही तरीके से इस्तेमाल किया और न ही सही तौर पर राज्य के वित्तीय मसलों को संभाला. सीएजी ने पुअर फाइनेंशियल मैनेजमेंट का कमेंट पिछली सरकार पर किया है. साथ ही रिपोर्ट में बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई गई है.
रिपोर्ट पेश होने के बाद महालेखाकार डीआर पाटिल ने एक प्रेसवार्ता ली. पीसी में जो खुलासा किया गया है उसमें राज्य सरकार को एक बड़ा नुकासन होने की बात कही गई है. महालेखाकार ने कहा कि 2017-18 में कुल 88 हजार 5 सौ 90 करोड़ का बजट पेश किया गया था. इस बजट में से 18 हजार 8 सौ 86 करोड़ का इस्तेमाल ही नहीं हो सका है. इसी तरह से 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपए लेप्स हो गए हैं. वहीं 31 मार्च को यानी की ठीक आखिरी वक्त पर 13 हजार 8 सौ करोड़ रुपए जमा किया गया, लेकिन विकास कार्यों में इसका इस्तेमाल नहीं हो सका.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पिछली सरकार को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 13 कार्यशील सार्वजनिक उपक्रमों को दिए आर्थिक सहायता के 4 साल तक का लेखा-जोखा पेश नहीं किया गया है. इसके बाद भी सरकार ने इन्हें 9,463.02 करोड़ का बजटीय समर्थन प्रदान किया था. सीएजी ने इस मामले में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है.