गुरु पूर्णिमा पूर्णता के प्रत्यावर्तन का महोत्सव, इन पुण्य-पलों में गुरु अपनी पूर्णता सुपात्र-शिष्य में उड़ेलते हैं
गुरु पूर्णिमा पूर्णता के प्रत्यावर्तन का महोत्सव है। इन पुण्य-पलों में गुरु अपनी पूर्णता सुपात्र-शिष्य में उड़ेलते हैं। परन्तु यह विरल सौभाग्य मिलता उन्हीं को है, जो अपने अस्तित्व को पूर्ण रूप से गुरु के श्री चरणों में अर्पित करने का साहस जुटाते हैं। शिष्य का सम्पूर्ण समर्पण ही गुरु द्वारा प्रत्यावर्तित की जाने वाली पूर्णता का आधार बनता है।
समर्पण ही पूर्णता के प्रत्यावर्तन की साधना है। हालांकि साधना की यह डगर कठिन है। जो शिष्य इस पर चलने का साहस कर रहे हैं, वे जानते हैं कि अपने ही अस्तित्व में छुपे हुए जड़ता-वासना और अहंता के दुर्गम शैल शिखरों को पार करना आसान नहीं है और इन्हें पार किए बिना समर्पण सम्भव नहीं है। समर्पण की डगर पर चलने पर अपना ही मन अनेक मायावी खेल रचता है।
प्रारम्भिक क्षणों में तो कई बार शिष्य साधक अपनी जड़ता व निष्क्रियता को ही समर्पण समझ लेते हैं। परन्तु जब गुरु कृपा से विवेक की किरणें झिलमिलाती हैं, तो बोध होता है कि समर्पण जड़-निष्क्रियता में नहीं, बल्कि गुरु के लिए निरन्तर कर्मरत रहने में है। इस अवरोध को पार कर लेने पर वासना अगला अवरोध बनती है। लेकिन जब गुरु कृपा शिष्य में बोध बनकर प्रकट होती है, तो शिष्य की चेतना में यह रहस्य उजागर होता है कि वासना के दुर्गम शैल शिखर को लांघने का रहस्य भक्तिपूर्ण तप में है।
इसके बाद अहंता का अन्तिम अवरोध बचा रहता है। समर्पण की डगर पर सतत् चलते रहने वाले शिष्य गुरु कृपा से यह जान लेते हैं कि निष्काम सेवा की निरंतरता से यह अन्तिम अवरोध भी विलीन हो जाता है। इस विलीनता के साथ ही पूर्णता की प्रत्यावर्तन प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।
घरों में रहकर ही की आचार्य विधासागर महाराज की गुरुवंदना
भोपाल. संभाग आस्था शाखा साकेत नगर भोपाल द्वारा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर शाखा की सदस्यों ने अपने-अपने घरों पर आचार्य विधासागर महाराज की गुरुवंदना की और नमन किया। इस मौके पर प्रांतीय चेयर पर्सन जयंती जैन, शाखा अध्यक्ष शोभा हाथीशाह, सचिव ज्योति जैन, ललित जैन, राखी जैन, रीना सिघंई, रेखा मोदी, अपर्णा जैन, नलिनी जैन, कल्पना जैन आदि सदस्यों ने भाव पूर्ण घर बेठे भक्ति की।
श्रद्धा विश्वास और सादगी के साथ मनाया गुरु पूर्णिमा महोत्सव
भेल. पटेल नगर स्थित दादाजी धाम मंदिर में धूनी वाले दादाजी साईंखेड़ा वाले दादाजी और मंदिर में स्थापित सभी देवी-देवता, संत गुरुओं का सुबह 8 बजे से पूजन अभिषेक किया गया। श्रृंगार हवन के बाद आरती की गई। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा गया। मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को शासन के निर्देशानुसार सैनिटाइजेशन के बाद ही अंदर प्रवेश दिया गया। श्रद्धालुओं के साथ ही मंदिर के पुजारी राकेश स्वामी ने मास्क लगाकर पूजन कराया। श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भक्ति के साथ स्वास्थ्य नियमों का हृदय से पालन किया।