भोपाल
राज्यपाल लाल जी टंडन ने आज शहडोल में पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय का लोकार्पण करते हुए कहा कि समय की मांग के अनुसार विश्वविद्यालयों में नये पाठ्यक्रम और शिक्षा के स्तर में सुधार के लिये निरंतर प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का संचालन सरकार के अनुदान पर ही नहीं, रूसा तथा समाज के सहयोग होना चाहिए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से कहा कि नेक ग्रेडिंग में सफल होने के लिये अभी से तैयारी शुरू करें।
राज्यपाल टंडन ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में नये तकनीकी ज्ञान के साथ पुरातन संस्कृति के अध्ययन की व्यवस्था को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता इतनी उत्कृष्ट होना चाहिए कि विदेशी विश्वविद्यालय भी इसका अनुसरण करें। टंडन ने कहा कि शहडोल में विश्वविद्यालय की स्थापना आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिये की गयी है। उन्होंने निर्देश दिये कि विश्वविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से पौधरोपण, जलसंरक्षण एवं संवर्धन, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग और सोलर एनर्जी की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जायें। राज्यपाल ने कहा कि राष्टपिता महात्मा गाँधी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिये विश्वविद्यालय में गाँधी पीठ स्थापित की जायें। साथ ही आदिवासी कला एवं संस्कृति के संरक्षण के लिये भी शोध पीठ बने।
प्रदेश में 200 महाविद्यालयों का हुआ अपग्रेडेशन
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को रोजगारोन्मुखी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेश के 200 महाविद्यालयों का अपग्रेडेशन किया गया है। इन महाविद्यालयों में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से हरियाली केम्पस विकसित किये जा रहे हैं। पटवारी ने कहा कि उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को शीघ्र पूरा किया जायेगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने आशा व्यक्त की कि शहडोल में स्थापित विश्वविद्यालय समाज के गरीब वर्ग के विद्यार्थियों के विकास में सहयोगी होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिये नि:शुल्क आवागमन व्यवस्था किये जाने और इसे हाई-वे से जोड़ने केलिये कहा।
लोकार्पण समारोह को जिले के प्रभारी, जनजातीय कार्य, विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने भी संबोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति मुकेश तिवारी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह विश्वविद्यालय आदिवासी कला एवं संस्कृति के संरक्षण और शोध कार्य प्राथमिकता के साथ संचालित करने के लिये कृत-संकल्पित है।