देखी सुनी

सबसे शांत चित्त शिक्षक होता है, क्योंकि वह राष्ट्र निर्माता है

हमारे यहां सब तरह के बच्चे आते हैं, अमीर-गरीब, होशियार-कमजोर, गांव के, शहर के, चप्पल वाले-जूते वाले, हिंदी माध्यम के-अंग्रेजी माध्यम के, शांत- बिगड़ैल, लेकिन हम उनके अवगुण देखकर उनको निकाल नहीं देते। सबको लेते हैं, सबको पढ़ाते हैं, सबको बनाते हैं, क्योंकि हम शिक्षक हैं

एक बड़े उद्योगपति शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। देखिए बुरा मत मानिए, लेकिन जिस तरह से आप काम करते हैं, जिस तरह से आपके संस्थान चलते हैं, यदि मैं ऐसा करता तो अब तक मेरा बिजनेस डूब चुका होता। चेहरे पर सफलता का दर्प साफ दिखाई दे रहा था।

समझिए, आपको बदलना होगा, आपके राजकीय संस्थानों को बदलना होगा, आप लोग आउटडेटेड पैटर्न पर चल रहे हैं और सबसे बड़ी समस्या आप शिक्षक स्वयं हैं, जो किसी भी परिवर्तन के विरोध में रहते हैं। हमसे सीखिए, बिजनेस चलाना है, तो लगातार सुधार करना होता है, किसी तरह की चूक की कोई गुंजाइश नहीं।

प्योर अंग्रेजी में चला उनका भाषण समाप्त हुआ, तो प्रश्न पूछने के लिए एक शिक्षिका का हाथ खड़ा था। सर आप दुनिया की सबसे अच्छी कॉफी बनाने वाली कंपनी के मालिक हैं। एक जिज्ञासा थी कि आप कॉफी के कैसे बीज खरीदते हैं। उद्योगपति का गर्व भरा जवाब था, एकदम सुपर प्रीमियम, कोई समझौता नहीं।

शिक्षिका ने फिर पूछा, अच्छा मान लीजिए आपके पास जो माल भेजा जाए, उसमें कॉफी के बीज घटिया क्वालिटी के हों तो। उद्योगपति, सवाल ही नहीं, हम उसे तुरंत वापस भेज देंगे। वेंडर कंपनी को जवाब देना पड़ेगा। हम उससे अपना करार रद्द कर सकते हैं। कॉफी के बीज के चयन के हमारे बहुत सख्त मापदंड हं, इसी कारण हमारी कॉफी की प्रसिद्धि है। आत्मविश्वास से भरे उद्योगपति का लगभग स्वचालित उत्तर था।

हम उनके अवगुण देखकर उनको निकाल नहीं देते

शिक्षिका, अच्छा है, अब हमें यूं समझिए कि हमारे पास रंग-स्वाद-और गुण में अत्यधिक विभिन्नता के बीज आते हैं, लेकिन हम अपने कॉफी के बीज वापस नहीं भेजते। हमारे यहां सब तरह के बच्चे आते है, अमीर-गरीब, होशियार-कमजोर, गांव के, शहर के, चप्पल वाले-जूते वाले, हिंदी माध्यम के-अंग्रेजी माध्यम के, शांत- बिगड़ैल, सब तरह के। हम उनके अवगुण देखकर उनको निकाल नहीं देते।
सबको लेते हैं, सबको पढ़ाते हैं, सबको बनाते हैं, क्योंकि सर, हम व्यापारी नहीं, शिक्षक हैं।

देश भर में फैली वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन के दौरान शिक्षक वर्ग की किसी को सुध लेने का ख्याल तक नहीं आया। फिर भी सबसे शांत चित्त वही वर्ग है। पता है क्यों, क्योंकि वह राष्ट्र निर्माता है। अगर वह विचलित हो गया, तो पुनर्निमाण संभव नहीं है

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