नई दिल्ली
केरल में सबरीमाला का दो महीने लंबा सीजन रविवार से शुरू हो रहा है. मंदिर के द्वार 16 नवंबर को खुलेंगे और इसी के साथ मंडला पूजा की शुरुआत होगी. तीर्थयात्री पहले से ही मंदिर पहुंचने की तैयारियां करने लगे हैं. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला फैसले पर पुनर्विचार याचिका को बड़ी बेंच के पास भेज दिया. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह देखना है कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलता है या नहीं.
सफाई पर रहेगा विशेष ध्यान
मेले को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. पठानमथिट्टा में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पोस्ट पर तैनात पीबी नोह ने प्रशासन की तैयारियों की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि सभी जरूरी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं. श्रद्धालुओं के लिए 2400 शौचालय और 250 वॉटर कियोक्स (पानी की मशीन) तैयार हैं. परिसर में स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए हमारे 1,000 से अधिक स्वच्छता कार्यकर्ता तैनात हैं.
शनिवार शाम खुलेगा मंदिर
शनिवार शाम सबरीमाला मंदिर के खुलने के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने, उनकी सुरक्षा और किसी भी तरह की अनहोनी को पहले से टाल देने के उद्देश्य के साथ पठानमथिट्टा में अभी से ही सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है. हालांकि श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए 17 नवंबर से ही प्रवेश कर पाएंगे.
800 से अधिक चिकित्साकर्मियों की तैनाती
स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात करते हुए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने कहा, "हमने यहां 800 से अधिक चिकित्साकर्मियों को तैनात किया है इसके साथ ही 16 चिकित्सा आपातकालीन केंद्र स्थापित किए हैं."
SC के फैसले से पहले 36 महिलाओं ने कराया रजिस्ट्रेशन, करेंगी दर्शन
सबरीमाला का दो महीने लंबा सीजन रविवार से शुरू हो रहा है. मंदिर की ऑनलाइन बुकिंग सुविधा के जरिए 36 महिलाओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है. खास बात यह रही कि इन महिलाओं द्वारा अपना रजिस्ट्रेशन सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से पहले करवाया गया था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर व दूसरी धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को गुरुवार को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भेज दिया.
शुक्रवार को जिम्मेदारी संभालने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड के अध्यक्ष एन वसु ने इंडिया टुडे से कहा कि जो लोग कानूनी रूप से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं, उन्हें रोका नहीं जाएगा.
एन वसु ने कहा, "28 सितंबर, 2018 को आए महिलाओं के मंदिर प्रवेश संबंधी आदेश पर कोई स्टे नहीं है. हम किसी को नहीं रोक रहे. कानूनी रूप से जो भी जाने के हकदार हैं, वे जा सकते हैं. हम किसी को नहीं रोकेंगे. आदेश पर हमें और स्पष्टता की जरूरत है. हमने कानूनी विशेषज्ञों की सलाह की मांग की है. यह दो दिनों में हमें मिल जाएगी, बोर्ड इस पर भी गौर कर रहा है."
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच को इस बारे में फैसला देना था लेकिन कोर्ट ने इसके व्यापक असर को देखते हुए 3-2 के मत से याचिकाएं बड़ी बेंच को सौंप दी हैं. हालांकि कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के फैसले को कायम रखते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है.
सुनवाई के दौरान इस मुद्दे पर जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी. उनका मानना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है. दो जजों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए.