अयोध्या
अयोध्या विवाद पर रामलला के हक में फैसला आने के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप केंद्र सरकार की ओर से ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का खाका खींच रहे हैं। ऐसे में ही न्यास और विहिप के साथ विराजमान रामलला के सखा ने तय किया है कि श्रीरामजन्मभूमि कार्यशाला में रखी ढाई लाख पूजित राम शिलाओं का उपयोग मंदिर की नींव बनाने में किया जाएगा।
09 नवंबर वर्ष 1989 में श्रीरामजन्मभूमि में मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था। इसके ठीक एक दिन पहले विहिप के आह्वान पर देश के विभिन्न राज्यों के गांव-गांव से करीब तीन लाख पूजित राम शिलाएं अयोध्या पहुंची थी। इनमें से लगभग 50 हजार पूजित शिलाओं का उपयोग तब हुए शिलान्यास के दौरान किया गया था।
शिलान्यास के वक्त मौजूदा समय में विराजमान रामलला के समीप ही इन शिलाओं से मंदिर की नींव बनाते हुए चबूतरे का निर्माण किया गया था। यह चबूतरा आज भी जन्मभूमि में मौजूद है। तब के समय में सिर्फ देश से ही नहीं दक्षिण अफ्रीका, अमरीका, सूरीनाम, जापान, चीन और वर्मा समेत कई देशों से पूजित शिलाएं अयोध्या पहुंची थी। 50 हजार के अलावा बाकी बची ढाई लाख शिलाएं रामजन्मभूमि कार्यशाला में रखी हुई हैं। यहां देश भर से आने वाले श्रद्धालु इनका दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं।
परिसर में भी प्रदर्शित की जाएंगी पूजित शिलाएं : श्रीरामजन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद के शीर्ष नेतृत्व के साथ विराजमान रामलला के सखा ने यह तय किया है कि केंद्र सरकार की ओर से गठित होने वाले ट्रस्ट के समक्ष तीन प्रस्ताव रखे जाएंगे। एक तो न्यास और विहिप के प्रस्तावित मॉडल के अनुसार ही राम मंदिर का निर्माण किया जाए। दूसरा राम मंदिर के भूतल के लिए तराश कर रखे गए पत्थरों और खम्भों से ही मंदिर बने।
सुरक्षा के भरोसे बिना नहीं लौटूंगा अयोध्या : परमहंस
तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास ने शुक्रवार (15 नवंबर) को देशवासियों के नाम अपना वीडियो जारी कर कहा है कि उनकी हत्या की साजिश की जा रही है। इसी दृष्टि से उन पर हमला भी किया गया था लेकिन पुलिस ने किसी तरह उन्हें बचा लिया है। उन्होंने कहा कि वह अज्ञात स्थान पर सुरक्षित हैं। अब अयोध्या तभी लौटेंगे जब उन्हें पूर्ण सुरक्षा का भरोसा दिया जाएगा। महंत दास ने कहा कि जिला प्रशासन दबाव में है, इसलिए उन्हें केन्द्रीय सुरक्षा प्रदान की जाए। महंत दास ने कहा कि उन्होंने 12 दिनों तक राम मंदिर निर्माण के लिए आमरण अनशन किया था। इसके उनकी लोकप्रियता बढ़ गई।