नई दिल्ली
शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को दो महीने से अधिक समय हो चुका है, वहीं प्रदर्शनकारियों की तरफ से लगातार मांग की जा रही है कि इस कानून को वापस लिया जाए, लेकिन इस कानून के विरोध में एकजुट हुए प्रदर्शनकारियों में नेतृत्व और अगुवाई करने वाला कोई नहीं है, जिसे लेकर उनके बीच मतभेद भी है। शाहीनबाग में आए दिन लोग आपस में इस बात को लेकर झगड़ रहे हैं कि किससे पूछ कर तुम ने यह कदम उठाया।
खींचतान का मंच
जैसे-जैसे दिन बढते जा रहे हैं और प्रदर्शन खींचता जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों में दूरियां भी बढ़ती जा रही है। शाहीन बाग में स्थिति फिलहाल यह है कि कोई भी कभी भी मंच पर आकर कोई ऐलान कर देता है और फिर बाद में कोई और मंच पर आकर उसी ऐलान को खारिज कर देता है। वहीं मीडिया के सामने कौन रहेगा, इसको लेकर भी तनातनी देखी जाती है। अगर कोई शख्स मीडिया के सामने आकर कुछ बोलता है तो दूसरा शख्स उसी बात को मीडिया के सामने ही नकार देता है, जिससे कोई सूचना तो स्पष्ट होने की बात दूर है, लोग भ्रमित अलग ही हो रहे हैं।
दादियों के नाम पर हो रहा 'खेल'
शाहीन बाग में दादियों के नाम पर सबसे अधिक राजनीति देखी जा सकती है। कुछ बुजुर्ग महिलाएं इस प्रदर्शन का चेहरा बनी हुई हैं जो कि दंबग दादी के नाम से मशहूर हैं। स्थिति यह है कि जब कोई बात नहीं सुनता या किसी को अपनी बात रखनी होती है तो वो बस दादी के मुंह से उस बात को सबके सामने कहलवा देता है, जिससे उसकी बात बड़ी हो जाती है। वहीं दूसरा शख्स दादी से उसी बात को बाद में खारिज करवा देता है।
बन रहे हैं अलग-अलग गुट
शाहीन बाग में एक से अधिक गुट बनते नजर आ रहे हैं और उस गुट की कोई न कोई अगुवाई भी करता है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि हर गुट के लोग संचालक बने हुए हैं, जिससे कुछ भी तय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनके बीच अनबन होती है और फैसला लेने में परेशानी आती है, लेकिन इस मतभेद के बावजूद भी सभी कानून को वापस लेने की बात कहते हैं और यह भी कहते हैं कि हम यहां से नहीं उठेंगे।