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शाहीन बाग में टैंट, खाना कहां से? हो रही जांच

नई दिल्ली
शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को खाना कौन खिला रहा है? वहां टेंट कौन लगा रहा है? यहां खाना और टेंट की सुविधा देने वाले क्या वह लोग शाहीन बाग थाना इलाके में ही रहते हैं या फिर दिल्ली और दिल्ली से भी बाहर के हैं? इन सब बातों की जानकारी लेने के लिए खुफिया एजेंसियों ने अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया है। पता लगाया जा रहा है कि आखिर इस आंदोलन के पीछे कहीं कोई षडंयत्र तो नहीं है। क्योंकि जिस तरह से प्रदर्शन को खासतौर से शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शनों को लगभग हर दिन एक वायरल मैसेज से दिशा दी जा रही है। उससे खुफिया एजेंसियों को इसके पीछे किसी सुनियोजित चाल का शक लग रहा है। जिसमें ऐसे कुछ लोग हैं जो हर दिन की प्लानिंग के हिसाब से शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को अपने हाथों की कठपुतली बनाकर खेल रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि इस तरह की खुफिया इनपुट लेने के लिए ना केवल शाहीन बाग में बल्कि दिल्ली के हर उस इलाके में जासूसी की जा रही है जहां-जहां इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। खुफिया इनपुट है कि आने वाले कुछ दिनों में शाहीन बाग जैसे और 10 से 15 मोर्चे दिल्ली के विभिन्न कोने में खुल सकते हैं। इनमें कोशिश की जा रही है कि ह्यूमन चेन बनाकर अधिक से अधिक लोगों की मौजूदगी को दर्शाया जाए। शाहीन बाग के बारे में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या यहां के लिए पैसा देश से बाहर से तो नहीं आ रहा?

बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग पर दिया विवादित बयान
बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग पर दिया विवादित बयानबीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग धरने को लेकर एक सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बयान दिया है। प्रवेश वर्मा ने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी घरों में घुसेंगे, बहन-बेटियों से रेप कर सकते हैं। प्रवेश वर्मा ने यह भी कहा कि अगर बीजेपी ने चुनाव जीता तो घंटे भर में शाहीन बाग का धरना खत्म हो जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी प्रवेश वर्मा मुस्लिम समुदाय को लेकर विवादास्पद बयान देते रहे हैं।

यह भी पता लगाया जा रहा है कि प्रदर्शन में शामिल जो लोग यहां आ रहे हैं क्या उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से कोई पेमेंट तो नहीं की जा रही है? अगर पेमेंट नहीं भी की जा रही है तो क्या उनके और उनके पूरे परिवार के खाने-पीने का पूरा बंदोबस्त तो यहां से नहीं किया जा रहा? जिसकी वजह से यहां कुछ लोग परमानेंट धरने पर बैठे हुए हैं। सुबह-शाम और रात की भीड़ का भी आंकलन किया जा रहा है। इसमें देखा जा रहा है कि प्रदर्शन में शामिल कितने लोग ऐसे हैं जो केवल रात को दिखाई देते हैं, कितने लोग ऐसे हैं जो सुबह-शाम या दोपहर में ही दिखाई देते हैं। इससे प्रदर्शन के पीछे अपना दिमाग चला रहे मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

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