वो जगह, जिसपर किसी भी देश का अधिकार नहीं, एक भारतीय बना था यहां का ‘राजा’

धरती पर कई ऐसी जगह हैं, जो 'नो मैन्स लैंड' की श्रेणी में आती हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, 'नो मैन्स लैंड' दो देशों की सीमाओं के बीच का वो खाली इलाका होता है, जिसे कोई भी देश कानूनी तौर पर नियंत्रित नहीं करता है। हालांकि उस जगह पर कोई भी कानूनी दावा कर सकता है। अफ्रीका में भी एक ऐसी ही जगह है, जिसपर किसी भी देश का अधिकार नहीं है और ना ही कोई देश उसपर अपना अधिकार चाहता है।  

इस जगह का नाम है बीर ताविल। 2,060 वर्ग किलोमीटर में फैला यह इलाका मिस्र और सूडान की सीमाओं के बीच है। 20वीं सदी की शुरुआत में यह इलाका तब अस्तित्व में आया था, जब मिस्र और सूडान ने अपनी सीमाएं कुछ इस तरह से बनाईं थी कि ये इलाका दोनों देशों में से किसी का भी नहीं रहा।

दरअसल, बीर ताविल एक सूखाग्रस्त इलाका है और यहां की जमीन बंजर है, जिसपर कुछ भी उगाना लोहे के चने चबाने के समान है। यही वजह है कि इस जगह पर कोई भी अपना दावा नहीं करना चाहता। हालांकि इस इलाके ने कई लोगों को अपनी तरफ आकर्षित जरूर किया है।

साल 2014 में अमेरिका के वर्जीनिया के एक किसान ने बीर ताविल में एक झंडा लगा कर खुद को 'उत्तरी सूडान के राज्य' का गवर्नर घोषित किया था। दरअसल, वो चाहते थे कि उनकी बेटी राजकुमारी बने। इसके बाद साल 2017 में एक भारतीय ने इस जगह को अपना देश घोषित किया था और उसका नाम दिया था 'किंगडम ऑफ दीक्षित'।

मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले सुयश दीक्षित ने खुद को 'किंगडम ऑफ दीक्षित' यानी बीर ताविल का राजा घोषित किया था और अपने पिता को यहां का प्रधानमंत्री बनाया था। उन्होंने अपना राष्ट्रीय ध्वज भी बनाया था और उसे बीर ताविल की जमीन पर गाड़कर लहराया भी था।

सुयश ने अपने देश के लिए राष्ट्रीय पशु का भी चुनाव किया था। दरअसल, इस रेगिस्तानी इलाके में उन्हें छिपकली के अलावा और कोई जीव दिखाई नहीं दिया था, इसलिए उन्होंने छिपकली को ही राष्ट्रीय पशु बनाने का विचार किया था।

बता दें कि सुयश घूमने के शौकीन हैं और हमेशा अलग-अलग देशों की यात्रा करते रहते हैं। उन्होंने बीर ताविल पहुंचकर यहां की जमीन पर पौधा लगाने के लिए बीज भी डाला था और उसमें अपनी बोतल से पानी भी दिया था।

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