बाल विवाह मुक्त बुरहानपुर अभियान का शुभारंभ
बुरहानपुर/भोपाल. महिला एवं बाल विकास विभाग और जिला बाल कल्याण समिति के संयुक्त आयोजन किया गया। इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड (यूनिसेफ समर्थित) का सहयोग रहा। बाल विवाह मुक्त बुरहानपुर के अंतर्गत जिले के मास्टर ट्रेनर सह कोर टीम के सदस्यों के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, पोक्सो एक्ट, बाल विवाह से मनोवैज्ञानिक, मनोसामाजिक व शारीरिक दुस्प्रभाव की जानकारी दी गई। इसके साथ ही वर्तमान में बाल विवाह की स्थिति, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों तथा इस जन अभियान के अंतर्गत बाल विवाह के सम्बन्ध में क्या-क्या गतिविधियां प्रस्तावित हैं, पर अभिमुखीकरण सह प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग बुरहानपुर के प्रतिनिधि, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वालंटियर, चाइल्ड लाइन, रोटरी क्लब, गायत्री शक्ति पीठ, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारीगण, विभिन्न स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधिगण के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम और उससे जुड़ी समस्यों के निराकरण पर अभिमुखीकरण सह प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
अभिमुखीकरण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव (एडीजे) नरेन्द्र पटेल ने अपनी बात प्रतिभागियों के साथ साझा की। उन्होंने कहा कि बाल विवाह सामजिक बुराई है, जिसको कानून के प्रावधानों के साथ-साथ सामजिक जागरुकता से कम या खत्म किया जा सकता है। पटेल ने बताया कि बाल विवाह करने वालों के खिलाफ सख्त कारवाई करने का प्रावधान है। विभिन्न धराओं के अंतर्गत केस पंजीबद्ध किया जा सकता है।
बाल मनोविज्ञान और पोक्सो पर अपने विचार रखते हुए भोपाल की मनोवैज्ञानिक डॉ. साधना गंगराडे ने कहा कि बाल विवाह से बच्चों के मनोविज्ञान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चों की सोचने और समझने की छमता पर बुरा असर पड़ता है। निर्णय लेने की स्थिति में वो अन्य पर निर्भर रहते हैं, जिससे उनमें विश्वास की कमी आती है। इसके फलस्वरूप उनमें अनेक मनोविकार भी उत्पन्न हो सकते हंै।
गंगराडे ने बताया कि बाल विवाह में दोनों में से किसी की भी उम्र सरकार द्वारा निर्धारित उम्र से कम पायी जाती है, तो उस केस में पोक्सो एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है, जो सभी परिवार जनों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है।
बाल विवाह से लड़के व लड़की पर पडऩे वाले शारीरिक नुकसान पर चर्चा करते हुए डॉ. आमीर आयुष वैज्ञानिक भारत सरकार ने कहा कि बाल विवाह होने से दोनों में समुचित रूप से होने वाला विकास रुक जाता है। वो शारीरिक कमजोरी का उम्र भर शिकार रहते हैं, जिससे उनके गुठनो में दर्द, रीढ़ की हड्डी में असमय दर्द और अनेक प्रकार के शरीरिक विकार होते हैं। जो दिखाई तो नहीं देते, लेकिन आंतरिक शारीरिक हानि जरूर पहुंचाते हैं और समय से पहले शरीर को बूढ़ा बना देते हैं।
प्रदेश तथा जिले की बाल विवाह की स्थिति को प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताते हुए संदीप शर्मा, सदस्य बाल कल्याण समिति ने कहा कि स्थिति चिंताजनक है, लेकिन लोगों में जागरुकता फैलाकर हम इससे नियंत्रित कर सकते हैं। 1098 पर कॉल करके बाल विवाह की सूचना अपना नाम गुप्त रखते हुए दी जा सकती है।
आपने बताया कि बाल विवाह को रोकने के उद्देश्य से इस अभियान को आरम्भ किया गया और सरकारी विभागों के साथ-साथ अन्य सांस्थाओं को भी जोड़ा गया है, जिससे कार्यक्रम को वृहद् स्वरूप दिया जा सके। इस अभियान में व्यक्तिगत रूप से भी जुड़ा जा सकता है। जुडऩे के इक्षुक व्यक्ति या संस्था बाल कल्याण समिति या महिला एवं बाल विकास विभाग से सीधे संपर्क कर सकते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास सुमन कुमार पिल्लई ने प्रतिभागियों से कहा कि बाल विवाह ऐसा विषय है, जिसे हमारा समाज समस्या मानता ही नहीं। बहुत लोगों को लगता है कि बाल विवाह अब नहीं होते या समाप्त हो गए हैं, जबकि ऐसा नहीं है। जब हम फील्ड का भ्रमण करते हैं और आगंनबाड़ी कार्यकर्ताओं और अन्य ग्रामीणों से चर्चा करते हैं, तो समझ आता है स्थिति अलग है।
सामाजिक बाध्यताओं में बंधे होने के कारण कोई बाल विवाह की सूचना नहीं देना चाहता है। हमें यही दूर करने के लिए इस अभियान को चुना है। ये सरकारी अभियान नहीं, बल्कि हम सबका अभियान है, ये जन अभियान है, क्योंकि बिना जनता की सहभागिता के बाल विवाह को रोक पाना संभव नहीं है। आपने बताया की विभिन्न कार्यक्रम हम लोग बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत भी करने वाले हैं, जिससे लोगो में जागरुकता आ सके।
अभियान की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए सुनील सेन, जिला समन्वयक, ममता संस्थान (यूनिसेफ समर्थित) ने कहा कि आज से औपचारिक रूप से अभियान का आरम्भ हो गया है। आगामी गतिविधियों में इसी प्रकार के उन्मुखीकरण विकासखंड स्तर पर, महाविद्यलय स्तर, शाला स्तर, राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर तथा ईकाई स्तर पर आयोजन होंगे। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं का संस्था स्तर पर, ग्राम पंचायत स्तर, वार्ड व समुदाय स्तर, विभिन्न विभागों के प्रशिक्षण में आदि अनेक गातिविधियों सामाजिक/शारीरिक दूरी तथा समस्त सरकारी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित की जाएगी। साथ ही जब तक कोरोना का संकमण है, तब तक ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से तथा सोशल मीडिया के माध्यम से जागरुकता का कार्य किया जाएगा।
कार्यक्रम का आभार व्यक्त करते हुए बाल कल्याण समिति की सदस्य बेला तारकस ने कहा कि ऐसे अभियान की जरूरत कुछ समय से महसूस की जा रही थी। इसका बाल विवाह होना तो महत्वपूर्ण कारण था ही उससे भी महत्वपूर्ण था इसको जन अभियान बनाया जाए। हमारा प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक लोगों तक अभियान की पहुंच हो, हम इसमें सहभागी बनने वाले सभी आमजन से शपथ पत्र भी भरवाएंगे, जिससे वो बाल विवाह के अभियान में अपने आप जो जुड़ा हुआ महसूस करे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन सुनील सेन, जिला समन्वयक, ममता संस्थान (यूनिसेफ समर्थित) द्वारा किया गया।